जिसकी इन्द्रियाँ और मन वशमें हैं, ऐसा देहधारी पुरुष नौ द्वारोंवाले शरीररूपी पुरमें सम्पूर्ण कर्मोंका विवेकपूर्वक मनसे त्याग करके निःसन्देह न करता हुआ और न करवाता हुआ सुखपूर्वक (अपने स्वरूपमें) स्थित रहता है।
नौ द्वारों के प्रकार श्वेताश्व्तर उपनिषद 3.18 में इस प्रकार बताया गया है –
नवद्वार की पुरी में उसी हंस या आत्मा का निवास है। वह आत्मा के रूप में बाह्य जगत में लीला करता है। वह सम्पूर्ण विश्व, समस्त चर-अचर जगत का विधाता है।
नौ द्वार – दो आँखें, दो नथुने, दो कान, एक मुँह, गुदा तथा उपस्थ
आम का अचार डालने का बहुत दिनों से नहीं वर्षों से सोच रहे थे, परंतु हो ही नहीं पाया, जब गुड़गाँव में थे तो वहाँ अचार का मसाला रेडीमेड बाज़ार से ही मिल जाता था, जहाँ पुराने गुड़गाँव की सब्जीमंडी में सब्ज़ी लेने जाते थे, वहीं से कैरी कटवाकर ले आते थे, और दीदी को दे देते थे, दीदी अचार डालकर रख देती थीं, बस फिर हम उनके यहाँ से ले आते थे। एक बार रेडीमेड अचार के मसाले से भी अचार डाला, बढ़िया लगा, परंतु दीदी के हाथ के अचार की बात ही कुछ ओर थी। उस अचार के मसाले का अचार डालने से ज़्यादा हमें उस मसाले के पराँठे खाने बढ़िया लगते थे।
जब से बैंगलोर आये हैं, तो यहाँ अचार या तो मोल ही लेना पड़ता है। फिर गुड़गाँव वाली दीदी भी थोड़े समय के लिये बैंगलोर आ गई थीं, तो बस फिर से उनसे ही अचार डलवा लेते थे, या उनसे ही ले आते थे। अब यहाँ बैंगलोर में अचार का मसाला रेडीमेड वाला नहीं मिलता है। तो अब सारे मसालों का अनुपात ख़ुद ही पता होना चाहिये। अब दिल्ली में ट्विटर वाली दी से हमने लिया और इस बार आम का अचार डाला। जी हाँ हमने सोशल मीडिया से भी कई रिश्ते कमाये हैं। केवल ब्लॉगर कम्यूनिटी ही नहीं, बल्कि फ़ेसबुक और ट्विटर से भी। दी की माँ अच्छा अचार डालती थीं, फिर उन्होंने अपनी छोटी भाभी से पूछकर सारे मसाले की सूचि भेजी।
आम का अचार डालने का तरीक़ा –
पहले कैरी अचार के लिये काट लें और सुखा लें।
25 कैरी के लिये यह मसाला बताया है, अगर कैरी ज़्यादा या कम लें तो उसी अनुपात में मसाले बढ़ा लें या कम कर लें।
आम का अचार का मसाला –
मिर्च
75 Gram
हल्दी
60-70 Gram
सौंफ
100-125 Gram
मैथी
50 Gram
हींग
अंदाज से एक डली
राईदाल (छोटी वाली)
750 Gram
लौंग
10 Gram
कालीमिर्च
10 Gram
तेल
1 Liter
नमक
125 Gram
आम का अचार का मसाला
पहले तेल को खूब गर्म कर लें (जब धुआँ जैसा छोड़ने लगे) और फिर इतना ठंडा कर लें कि उसमें मसाले भुन जायें।
एक बड़ी थाली में सब मसाले अलग अलग रख लेना है फिर उस तेल को ( उतना गर्म होना चाहिए जिससे मसाले सिक पाएं )
थाली में सबसे पहले मेंथी लौंग और कालीमिर्च पर तेल डालने की शुरआत करिये, इसके बाद हल्दी मिर्च सौंफ और राई पर तेल डालना तेल गर्म इतना रहे कि ये मसाले सभी सिकते जाएं और सबको मिलाते जाना चम्मच से। सबसे आख़िरी में नमक डालिये ( जब मसाले ठंडे हो जाएं तब )
अब इन मसालों में कटी हुई कैरी मिलाकर, एक डब्बे में रख दीजिये, धूप में न रखें, छाँव में ही पकाना है। तेल कम लगे तो फिर से तेल गर्म करके ठंडा होने पर मिला दें।
हमने तो कल अचार डाला था, और आज से ही खाना शुरू कर दिया, बढ़िया स्वाद है। फ़ोटो भी वही लगा दे रहे हैं जो दी ने हमें भेजा था।
आप भी अगर अचार डालें तो स्वाद कैसा आया, ज़रूर बतायें। और अपने मित्रों तक भी इस लिंक को ज़रूर पहुँचायें।
इस बार जब आयकर विभाग का रिटर्न भरने की प्रक्रिया में था, तो भरा गया आयकर देखकर बहुत कोफ्त हुई, कमाते हम साल भर के 12महीने हैं, सरकार का उस कमाई में कोई योगदान नहीं, न हमें अच्छी पढ़ाई दी, न हमें अच्छे रोजगार के अवसर दिये। हम जैसे तैसे संघर्ष करके यहाँ तक पहुँचे। अब जब आयकर का हिसाब लगाकर देखते हैं तो पता चलता है कि हम अपने लिये केवल 9 माह कमाते हैं, और बाकी के 3 महीने यानि कि जनवरी से मार्च तक सरकारी बंधुआ मजदूर हैं। क्योंकि हमारी 3महीने की कमाई सरकार आयकर के रूप में हमसे ले लेती है। न देने का कोई ऑप्शन भी नहीं है, कि सरकार कहे, हम ये सुविधायें नहीं दे पा रहे हैं तो आपको आयकर भरने की जरूरत नहीं है।
हर कोई सरकारी बंधुआ मजदूर है, भले 1 दिन का हो या 4-5महीने का, कोई एक दिन की कमाई का आयकर चुका रहा है तो कोई 4-5 माह की कमाई का आयकर चुका रहा है। मैं भी मन लगाकर अब 9 महीने ही काम कर पाता हूँ, बाकी के 3 महीने अनमने मन से काम करता हूँ, क्योंकि यह कमाई मैं अपने और अपने घरवालों के लिये नहीं बल्कि सरकार के लिये कर रहा हूँ। दुखी तो हर कोई है, परंतु हर कोई लिख नहीं पाता।
आयकर के साथ ही जमाने भर के सेसलगा दिये जाते हैं, अभी स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये 4%का कर लगाया गया है, तो भी हमें न स्वास्थ्य की सुविधायें हैं न शिक्षा की सुविधायें हैं, अगर हमें स्वास्थ्य और शिक्षा सरकार नहीं दे सकती है तो कम से कम हमें उतनी रकम की छूट आयकर में मिलनी ही चाहिये, जितनी हम इन मदों में खर्च कर रहे हैं। अगर हम निजी क्षेत्र से स्वास्थ्य और शिक्षा लेते हैं तो भी सरकार हमसे उस पर GSTवसूल करती है, इस तरह से अगर सही हिसाब लगाया जाये तो व्यक्ति अपनी आय का कम से कम 50-60% कमाई का हिस्सा किसी न किसी तरह के कर देने में ही खर्च कर देता है।
सरकारी नौकरी वाले चाकरों के तो हाल ओर भी बुरे हैं, वे तो अपने मौलिक अधिकार का भी उपयोग नहीं कर सकते, कोई भी सरकारी नौकरी वाला अपनी अभिव्यक्ति का स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उपयोग नहीं कर पाता है, अगर कोई अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करता भी है तो उसे इसकी कीमत नौकरी की आँच से चुकानी पड़ती है, साथ ही कई अन्य नुक्सान भी हो सकते हैं।
भले कोई आयकर देता हो या न परंतु आप कोई भी समान खरीदें उस पर कोई न कोई टैक्स तो जरूर देते हैं, हर कोई सरकारी बंधुआ मजदूर है, भले ही आप सेवानिवृत्त हो जायें और कमाई के हिस्से पर जीवनभर आयकर भी दें, फिर उस कमाई में से बचत से हो रही ब्याज की आय पर भी आयकर दें, तो जब तक जिंदा हैं, तब तक आयकर तो देना ही है। इस तरह से मुझे तो कई बार लगता है कि हम केवल कुछ दिन या महीनों के ही बंधुआ मजदूर नहीं हैं बल्कि जीवन भर हम बंधुआ मजदूरी ही कर रहे हैं।
जीवन बहुत अनिश्चितताओं से भरा है, कब जीवन की साँस रुक जाए और स्वर्गीय हो जायें पता ही नहीं।
इस जीवन को भरपूर ऊर्जा के साथ जियें और अच्छे लोगों में अपना नाम दर्ज करवायें कि लोग आपसे मिलना पसन्द करें।
एक बार इस दुनिया से चले गए तो कोई याद करने वाला भी नहीं होता। बस जब तक इस जहान में उपस्थिति है, तब तक ही लोग पूछ रहे हैं।
गाड़ी घोड़ों, घरबार, धन्धापानी का ज्यादा टेंशन न पालें, कुछ समय आत्मकेंद्रित भी रहें, स्वार्थी बनें, और केवल अपने लिये कुछ समय अपने आपको और अपने परिवार को दें।
न किसी को बुरा बोलें और न ही ऐसे बोल बोलें कि किसी का दिल दुखे। बस इस बात का ख्याल करें, अच्छी बातें बच्चों को पढ़ायें, बच्चे बात सुने न सुने, पर उन्हें टोका मारना न भूलें, एक दिन आयेगा, वे जरूर सुनेंगे।
ऐसे ही दिलोदिमाग में कुछ विचार घुमड़ आये जिनका शब्दांकन यहाँ कर दिया।
ध्यान रखिये कि –
मृत्यु अटल है
यकीन मानिये
जीवन इसीलिये ही आह्लादित है।
जब तक साँसें चल रही हैं तब तक आनंदित रहें, प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। भरपूर जीवन का मजा लें।
उपरोक्त पैरा पर फेसबुक पर सुरेश चिपलूनकर जी ने टिप्पणी दी थी कि –
आज श्मशान घाट गए थे क्या??
ऐसे विचार वहीं पर आते हैं…
और घर आते ही खत्म भी हो जाते हैं… 😀
और हमने प्रतिउत्तर में कहा –
नहीं चक्रतीर्थ और ओखलेश्वर के अलावा शायद कहीं और जाना ही नहीं हुआ। परन्तु आज मन खिन्न था और मैं उसकी गहराई में उतरा हुआ था, एक 7 साल पहले के किसी के दर्दनाक स्टेटस को पढ़कर। और भी बहुत से कारण थे।
उदासी के बहुत से कारण होते हैं, व्यक्ति कब दार्शनिक हो जाये कुछ पता नहीं, कब किस बात से मन खिन्न हो जाये, उसका भी पता नहीं। बस किसी भी दशा में हमें नकारात्मक नहीं होना है, हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा से जीवन में आगे बढ़ते जाना है। अपनी दृष्टि हमेशा ही ऐसे लक्ष्य पर रखना है जिसे सुनकर दुनिया आप पर हँसे, ऐसे स्वप्न देखिये, तभी आप इस दुनिया में कोई चमत्कार कर पायेंगे। मन में बस बातों को ठान लें और उसके लिये जी जान लगा दें, रात दिन एक कर दें तो आप भी देखेंगे कि वह लक्ष्य आपके लिये कोई बहुत ज्यादा कठिन नहीं होगा।
अच्छी सेहत के लिये कम से कम १०,००० कदम चलिये, पैर में तकलीफ न हो तो धीरे धीरे दौड़िये, जब पसीन बहेगा तो उसका आनंद केवल आप उठा पायेंगे, उस पसीने के सुख की अनुभूति के लिये आप दौड़िये। रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा तो अपने आप ही भाग जायेंगे। पर यह सब करने के पहले आप मन से स्वस्थ रहें।
रोज एक घंटा अच्छी किताब पढ़ने की आदत डालें, या आजकल तो बहुत अच्छे पॉडकॉस्ट आ रहे हैं, उन्हें सुनें, वे भी किताबों के समान ही हैं। बस जीवन को सरल और सरस रखें।
हर देश के विकास में संसद और विधानसभा का बहुत महत्व होता है, वैसे ही भारत में संसद और विधानसभा के सत्र का महत्व है। सांसद १५ लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, और वैसे ही विधायक अपने क्षैत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
हमारी संसद ३६५ दिन में केवल ७० दिन कार्य करती है, और कई रिकमंडेशंस में कहा गया है कि कम से कम संसद को १२० दिन कार्य करना चाहिये। हम इस मामले में बहुत पीछे हैं, अमेरिका में संसद १५० दिन और कई यूरोपीय देशों में संसद का औसत १३५ दिन है।
हमारे यहाँ भारत में किसी भी मुद्दे पर गहन विश्लेषण और बहस नहीं की जाती है, भले ही एक राजनैतिक दल की बहुमत वाली सरकार हो।
वैसे ही राज्य की विधानसभा ३६५ दिन में मात्र ३० दिन कार्य करती है, और कई कई रिकमंडेशंस में कहा गया है कि इन्हें कम से कम ७० दिन तो कार्य करना ही चाहिये, जिससे मुद्दों पर अच्छे से बातें हो सकें।
हालांकि संसद में कई समितियाँ होती हैं जो कोई भी प्रस्ताव संसद में आने के पहले बहस और गहन विश्लेषण करती हैं, पर वह सारा डिस्कसन ऑफ द रिकॉर्ड होता है, संसद में बहस न होने के कारण कई अच्छी राय आने से रह जाती हैं।
अगर आपकी भी राय है कि किसी विधेयक पर, तो आप भी ईमेल करके राय व्यक्त कर सकते हैं। PRS नाम का छोटा सा एप है, जहाँ सरकार के सारे कार्य की जानकारी आपको इस छोटे से एप पर मिल जाती है, और यह किसी भी प्रकार की निजी जानकारी नहीं माँगती है।
आपका सांसद कितना काम का है, वह आप MPTRACK वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं, कि उसने कितने दिन संसद की कार्यवाही में हिस्सा लिया है और कितने प्रश्न पूछे हैं, व कितने मुद्दों पर अपनी राय दी है।
सांसद या विधायक का कार्य सड़कों को ठीक करवाना या बिजली नहीं आ रही है तो ठीक करवाना नहीं है, बल्कि भारत के विकास में किये जाने वाले कार्यों पर सतत अपनी राय देना और चल रहे कार्यों को कैसे और अच्छे से किया जा सकता है, उसको अच्छे से सदन में उठाना है।
तो देर किस बात की है, PRS एप डाऊनलोड कीजिये और नये विधेयकों पर अपनी राय देना शुरू कीजिये। हम घोड़े को पानी तक लेकर जा सकते हैं, परंतु पानी तो घोड़े को खुद ही पीना होगा।
MPTRACK वेबसाईट पर जाकर आप अपने MP के बारे में जानकारी देखिये और अगर वह सतत योगदान नहीं कर रहा है तो आप उन्हें अपनी राय बताईये, जो कि वे संसद सदन में रख सकते हैं।
सरकार हर ५ वर्ष में बनती है, और सारे राजनैतिक दल अपने अपने घोषणा पत्र लेकर जनता के सामने आते हैं, परंतु कोई भी जनहित वाले वायदे नहीं करता। मेरी तरफ से कुछ बिंदु हैं, जिन पर राजनैतिक दलों को ध्यान देना चाहिये और भारत के विकास की बातें न करके अलसी विकास करना चाहिये, ये सारी बातें बहुत ही बुनियादी हैं, जो कि हर भारतीय को मिलनी चाहिये और यह चुनी हुई सरकार का प्राथमिक कर्त्तव्य होना चाहिये।
मुझे मेरी चुनी हुई सरकार से क्या चाहिये –
1. सर्वसुविधायुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं वाले क्लिनिक और अस्पताल (सरकारी)
2. सर्वसुविधायुक्त विद्यालय जहाँ शिक्षक भी उपलब्ध हों (सरकारी)
3. सर्वसुविधायुक्त महाविद्यालय जहाँ शिक्षक भी उपलब्ध हों (सरकारी)
4. सार्वजनिक परिवहन के साधन (अभी हैं पर उसमें तो पैर रखने की हिम्मत नहीं पड़ती)(सरकारी)
5. सड़कें अच्छी हों, व नालियाँ साफ हों।
6. स्वच्छ भारत कागज से निकलकर बाहर आये।
7. किसी का भी ऋण माफ न करें, किसानों और लघु उद्योगों की दशा सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाये जायें, विलफुल डिफॉल्टर और अमीर लोगों के NPA तुरत वसूल किये जायें।
8. युवाओं को भविष्य के मार्गदर्शन के लिये शैक्षणिक संस्थानों का गठन किया जाये। जब स्किल होगा तो नौकरी और व्यापार अपने आप कर लेंगे।
9. सरकार में हर मंत्री को सम्बंधित विभाग की परीक्षा करवानी चाहिये, जिससे यह तय हो कि मंत्री अच्छे से विभाग संभाल पायेंगे।
10. जनता को उपरोक्त सुविधाएँ न दे पाने की दशा में, लिए गये सारे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को जनता को रिफंड करना चाहिये।
आने वाले दिनों में और भी बिंदुओं को जोड़ा जा सकता है, आपके पास भी ऐसे कोई बिंदु हैं तो टिप्पणी में बताईये, हम जोड़ देंगे।
अभी दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं और जिन बच्चों के 99% या उससे ज्यादा हैं, हम उनके परीक्षा परिणामों पर उत्सव भी मना चुके हैं। उनकी सफलता के लिए उनको बधाई का हक तो है ही, पर ऐसे बहुत सारे बच्चे भी हैं जो इतने नंबर नहीं ला सके और कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें उम्मीद से कम नंबर मिले, और कुछ बच्चे परीक्षा में असफल भी हुए हैं। परीक्षा परिणाम कुछ भी रहा हो, परंतु यह समय है अपने दिमाग को शांत और स्थिर रखने का और आगे बढ़ने के लिए तैयार होने का। Continue reading परीक्षा में असफल होना भी ठीक है→
हमारे दिन की शुरुआत किसी समाचार पत्र को पढ़कर ही होती है और जब तक हम समाचार पत्र नहीं पढ़ लेते, तब तक पूरा दिन ऐसा लगता है कि आज शुरुआत ही नहीं हुई। परंतु आजकल जब कोई मुझे कहता है कि तुमने तो आज अपने आसपास के समाचार देखना ही बंद कर दिया तो मैं उसे थोड़ा पर्सनल ही लेता हूँ क्योंकि मैं अपने आसपास की सारी नकारात्मक खबरें नहीं पड़ना चाहता, आज की कहावत है कि अगर आप समाचार नहीं देख रहे तो, आपके पास जानकारी नहीं है, परंतु अगर आप समाचार देख रहे हैं तो आपके पास गलत जानकारी है। Continue reading जब समाचार आपको नकारात्मक बना दे→
आपकी खाने की आदत, सोने की आदत और पानी पीने की आदत यह सब आपकी पाचन क्रिया से सीधे संबंधित हैं, तो इन पर ध्यान रखिये और इनको ठीक करिये।
जितना हम समझते हैं पाचन क्रिया इतनी आसान नहीं है। हम लोग अधिकतर पाचन क्रिया को यह कहकर अनदेखा कर देते हैं कि यह तो यह तो ज्यादा वजन के कारण हो रहा है या फिर हमारे कम वजन के कारण हो रहा है। दरअसल पाचन क्रिया हमारी आदतों से सीधे संबंधित है कि हम अपने शरीर को कैसे रखते हैं। Continue reading पाचन क्रिया को खत्म करने वाली चार चीजें→
हर वर्ष मराठी नववर्ष मनाने के लिये गृहणियाँ घर के मुख्य दरवाजे पर एक अलग सा कुछ सजाती हैं, जो कि आम की पत्तियों, नीम की पत्तियों और मिश्री से बनाया गया होता है। नववर्ष को मनाने के लिये परिवार सबसे पहले इन्हीं चीजों को इकठ्ठा करता है। पर इसके अलावा भी वे बहुत सी चीजें अपना दिनचर्या में करते हैं, वो है दिन का भोजन। और भोजन की मुख्य सामग्री होती है – कच्चा आम।
तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मराठी नववर्ष मार्च या अप्रैल में पड़ता है, जब आम के मौसम की पहली खेप आती है। और इसी कारण से आम को पूरे दिन के भोजन में शुमार किया जाता है। गुड़ीपड़वा उत्सव इस रविवार को मनाया जा रहा है, जो कि मराठियों का नववर्ष है, और प्रांत के लोग स्थानीय बाजार में सबसे बढ़िया आम की खरीददारी करते पाये जा सकते हैं। उत्सव के दिन का विशिष्ट भोजन में मिठाई और स्वादिष्ट कच्चे आम के पन्ना को जरूर शामिल किया जाता है।
पना बनाने के लिये कच्चे आम को उबाला जाता है और उसमें इसके गूदे को हाथ से दबाकर निकाल लिया जाता है, फिर इसमें गुड़ और पानी मिलाया जाता है जब तक कि यह शरबत जैसा न हो जाये, और इसे श्रीखंड पूरी, और आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है।
भीगी और पिसी हुई चना दाल में जीरा और हरी मिर्च से अम्बयाची दाल व्यंजन बनाया जाता है, जिसे कि राई और करी पत्ते का छौंक लगाया जाता है, और साथ ही सबसे जरूरी कसा हुआ कच्चा आम अच्छी मात्रा में मिलाया जाता है। इस व्यंजन को उत्सव पर बधाई देने वालों के लिये नाश्ते के तौर पर परोसा जाता है।
वैसे ही कच्चा आम को उगादी में विविध प्रकार से उपयोग में लाया जाता है, उगादी जो कि कन्नड़ और तेलुगु में नववर्ष के त्यौहार को कहा जाता है। चामराजनगर, कर्नाटक में माविनकायी चित्रन्ना नाम का विशिष्ट व्यंजन बनाया जाता है, इसमें बहुत से तरह के चावलों का उपयोग होता है, पके हुए चावल, नमक को मिलाकर ठंडा होने रख देते हैं, फिर थोड़ा सा तेल गर्म करके, उसमें राई, चना दाल, मूँगफली, कटी हुई प्याज, अदरक, और कसा हुआ कच्चा आम डालते हैं। यह सब पक जाने के बाद उसे ठंडा होने देते हैं और इसको चावल में मिला दिया जाता है, चित्रन्ना को हमेशा ही सामान्य तापमान पर परोसा जाता है, जैसे कि लेमन राईस को परोसा जाता है।
उगादी पाचादि आंध्रप्रदेश और तेलंगाना का मुख्य व्यंजन है। यह मीठा, तीखा, खट्टा, कड़वी चीजों को मिश्रण होता है, इसके पीछे माना जाता है कि जैसे जीवन में ये सारे रंग होते हैं और हमेशा ही बहुत सी बातें होती हैं, जिनसे हम सम्मत हों या न हों पर हमारा जीवन इन्हीं के मिश्रण से बना है। पाचादि में प्रत्येक का एक कप कसा हुआ कच्चा आम, केला और गुड़ तीनों का डाला जाता है, चौथाई कप इमली का पानी, दो चम्मच नीम के फूल, एक चम्मच हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक मिलाया जाता है। इस व्यंजन को रसेदार रखा जाता है, कच्चा आम और इमली को इसी मौसम का होना चाहिये। यह पहला व्यंजन है जो कि नववर्ष में चखा जाता है।
तमिलनाडु में कच्चे आम की पाचादि नववर्ष के उत्सव में मुख्य व्यंजन होता है, इस व्यंजन को नववर्ष के मौके पर भोजन में केले के पत्ते पर खिलाया जाता है, साथ ही कोट्टू, करी, वाडाई, चावल, पोरुप्पु, साँभर, रसम और पायसम भी होता है।
पाचादि व्यंजन की विधि को अपने परिवार के पुरखों से सीखते आये हैं। कच्चे आम की पाचादि को 6 स्वाद में बनाया जा सकता है।