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स्वभाव परिवर्तन

स्वभाव परिवर्तन क्यों होता है, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और यह निर्भर करता है हमारे भाव पर, कि हम उस समय किस भाव में जी रहे हैं, ग़ुस्से में हैं या प्यार में हैं या अनमने हैं। हम इन भावों पर नियंत्रण भी तभी सीखते हैं जब हम दोस्तों, परिवार और समाज के बीच रहते हैं। हमें अपने भाव पर नियंत्रण रखना होता है, भले कोई परिस्थिती हो। कुछ लोग बहुत ही ज़्यादा मारपीट या ऊँची आवाज़ में बात करने लगते हैं या एक ही परिस्थिती में रहकर, उनका मूल स्वभाव ही बदल जाता है।

दरअसल बहुत से लोग परिवर्तन स्वीकार ही नहीं कर पाते, स्वभाव हमेशा ही भाव से बनता है, अगर हम वातावरण को देखकर अपने आपको उसके अनुकूल बना लें तो शायद जीवन बहुत आसान होता है, परंतु अगर हम प्रतिकूल परिस्थितियों में ही रहने की आदत डाल लेते हैं, और हमेशा ही अपने दिमाग़ को विषम परिस्थितियों में रखते हैं तो हम अपने मूल स्वभाव को बदल नहीं सकते।स्वभाव हमेशा ही ध्यान रखें कि आपकी मानसिक मूल भावनाओं को प्रदर्शित करते हैं। जिससे कोई भी एकदम पता लगा सकता है कि ये किन परिस्थितियों में रह रहे हैं।

हर व्यक्ति में हमेशा ही कई तरह के स्वभाव होते हैं, जैसे कि मूल स्वभाव और एक दिखाने वाला स्वभाव। मूल स्वभाव की बात करें तो वह कहीं बदलता ही नहीं, हमेशा आप उसी भाव से प्रक्रिया देते हैं, यदि ग़ुस्से वाला स्वभाव है तो हमेशा ही आपका ग़ुस्से वाला रूप ही दिखेगा, वहीं अगर आपका मूल स्वभाव ही प्यार का है, तो भी आप चाहकर भी बहुत ग़ुस्से में भी अपने प्यार वाले स्वभाव को बदल नहीं पायेंगे, आपने कई लोगों को देखा होगा कि बहुत ग़ुस्से में भी चाहकर भी ग़ुस्सा नहीं कर पाते, और बातों को सहज ढंग से रखते हैं, वहीं कुछ लोग छोटी सी बात पर भी सबकुछ बिगाड़ लेते हैं, बहुत ग़ुस्सा करते हैं।दिखाने वाला स्वभाव वह है जब आपको वाक़ई किसी को कोई ओर रूप दिखाना है तो आपको एक नया चेहरा ओढ़कर अपना ग़ुस्सा या प्यार दिखाना पड़ता है, यह केवल समाज के लिये होता है, परिवार में हमेशा ही आप व्यक्ति के मूल स्वभाव को देखेंगे, अगर किसी का मूल स्वभाव पता करना हो तो, उसका पारिवारिक रूप देखना चाहिये।

मूल स्वभाव के उलट व्यक्ति बहुत दिनों तक अपने नये चेहरे वाले स्वभाव को ओढ़कर नहीं रख सकता, क्योंकि वह स्वभाव उसका है ही नहीं।

स्वभाव कैसे बदलें –

अपने स्वभाव पर ध्यान दें, अपने आपको तोलें और पूछें कि क्या मेरा कहने का भाव या व्यवहार दूसरों के प्रति सही है, अगर न समझ आये तो सोचिये कि अगर जैसा आपका मूल स्वभाव है, वही दूसरों का आपके प्रति हो तो आपको कैसा लगेगा, मेहनत का काम है, परंतु इसी प्रकार से आप अपने अंदर प्रगति ला सकते हैं। स्वभाव को बदलना बेहद दुश्कर कार्य है, क्योंकि यह आपकी मूल पहचान छीन लेगा।

मानव प्रजाति के लिये शताब्दी का सबसे कठिन समय है

मार्च 2020 से मानव प्रजाति के लिये शताब्दी का सबसे कठिन समय है, यह कोरोना आया था लगभग नवंबर 2019 में और अब जून 2021 भी लगभग ख़त्म ही होने को आया है। यह डेढ़ साल सदियों के जैसा बीता है, शुरू में तो बहुत मज़ा आया, कि घर पर ही रहना है कहीं नहीं जाना है। पर धीरे धीरे यह भी कठिन होता गया। सब अपने आप में सिमट गये, नहीं यह कहना ठीक नहीं होगा कि सिमट गये, दरअसल समाज की भी यह अपनी मजबूरी थी अपने आपको सिमटने की। नहीं तो सभी को कोई न कोई नुक़सान हो सकता था।

सिमटने के चक्कर में हमारे मानसिक अवस्था पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा, मुझे लगता नहीं कि कोई भी इन प्रभावों से बच पाया होगा। जो निडर बनकर घूमते रहे कि हम स्वस्थ हैं हमें कोरोना नहीं होगा, सबसे पहले कोरोना ने उन्हें ही शिकार बनाया। फिर मौतें कम होने लगीं तो लोग बिना किसी डर के फिर से घूमने लगे और हमने अपने कई दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों को मौत के मुँह में जाते देखा, पता नहीं इस वर्ष तो मैं कितनी बार और कितनी देर तक कई बार रोया हूँ, आज भी उनके चेहरे यकायक ही आँखों के सामने आ जाते हैं, और वे मुझसे अपनी ही आवाज़ों में बात करने लगते हैं, कभी कभी लगता है कि मैं पागल हो गया हूँ, परंतु ऐसा नहीं है, पता नहीं भाग्य को यही मंज़ूर था या उनकी थोड़ी सी लापरवाही से ऐसा हुआ।

कई मित्र ऐसे थे, जिनके लिये कार्य ही सर्वोपरि था, वे रोज़ ही अपने कार्यस्थल जाने में कोई देरी नहीं करते थे, परंतु कभी उन्होंने अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा, यह दुख होता है। वे लोग बड़े स्वार्थी थे, हमारी इतनी बातें होती थीं, मिलकर, कॉ़ल पर, व्हाट्सऐप पर, ऐसा कुछ बचा नहीं जहाँ, अपने लोगों से बात नहीं होती थी, मैं बस अपने लोगों से यही कहता था, यहाँ तक कि जब मौक़ा मिलता जो अपरिचित थे, उनको भी कहने से नहीं चूकता था, कि परिवार अंततः आपके साथ रहेगा, अगर आपको कुछ हो गया तो कार्यस्थल पर तो सारे काम कोई ओर सँभाल लेगा, परंतु आपकी कमी परिवार में कोई पूरी नहीं कर पायेगा। जिस परिवार को आप सबसे आख़िरी प्राथमिकता पर रखते हो, वही हमेशा आपके काम आयेगा। कुछ दोस्तों को जब वे अपने अंतिम समय में अस्पताल में साँसों के लिये लड़ रहे थे, शायद बात समझ में भी आई, परंतु बस वह वक़्त समझने का नहीं था।

अंतिम वक़्त में कोई कितना भी समझ ले, अच्छा बुरा सब समझ ले, परंतु जो जीवन में खो गया वह खो गया। इतने लोगों के जाने के बाद अब मैं आत्मा को ढूँढने लगा हूँ, कई फ़िल्म, डाक्यूमेंट्री देखीं, किताबें पढ़ीं, और भी पढ़ रहा हूँ, कई बार लगता है कि यह सब बस कहने की बात है, अगर इस दुनिया में सभी तरह के लोग हैं ओर कोई बुरा है कोई अच्छा है, तो क्या वाक़ई कहीं इस सबका इंसाफ़ भी होता होगा। धरती पर इतनी जनसंख्या हो गई, भगवान भी इतनी आत्माओं का प्रोडक्शन करने में थक गये होंगे, शायद उनके यहाँ भी अब जगह न होगी। सब जगह किसी एक निश्चित संख्या में ही लोग रह सकते हैं। क्या वाक़ई मरने के बाद भी कोई दुनिया होती है, क्यों हम इतने सीधा सादा जीवन अपने किसी न किसी उसूल पर बिता देते हैं, क्यों कोई ग़लत कार्य करने के बाद अपने मन और दिमाग़ पर बोझ बना लेते हैं, इसका जवाब तो खैर मेरे पास नहीं। आत्मा और परमात्मा को कोई साफ़ उत्तर कहीं नहीं है, बस एक ही चीज मिली कि ख़ुद को ढूँढे पर सही तरीक़ा बताने वाला कोई है नहीं।

इस लंबे समय में घर के दौरान यह समझ में आया कि हम सामाजिक हैं अगर हमें अकेले ही रहने को लिये छोड़ दिया जाये तो हम पागल हो जायेंगे, हमें अपने आसपास लोग चाहिये, उनका अहसास चाहिये, हमारे जीवन में हर तरह का रस होना चाहिये। जीवन जीने के लिये अपना नहीं, साथ रहने वाले और साथ चलने वाले लोगों का खुश होना ज़रूरी है।

इस लंबे समय में कई नये कार्य हाथ में लिये, पर शायद ही कोई कार्य लगातार कर पा रहा हूँ, ऐसा लगता है कि करना तो सब कुछ चाहता हूँ परंतु क्यों करूँ? इसका उत्तर नहीं मिल रहा। दिमाग़ चलने बंद हो गया, मैं लोगों को किसी काम के लिये हाँ कह देता हूँ, यह भी कह देता हूँ कि मैं बहुत आलसी हूँ, परंतु सही बात तो यह है कि मैं आलसी नहीं हूँ अगर गोया आलसी होता तो इतना लंबा हिन्दी में यह बकवास या क़िस्सा लिख नहीं रहा होता, मैं कहीं कुछ ढूँढने में व्यस्त हूँ, जो मुझे मिलने से बहुत दूर है। मैं क्या ढूँढ रहा हूँ वह मुझे साफ़ है, पर कैसे और कहाँ से मिलेगा यह मुझे पता नहीं, न ही मैं लोगों से पूछना चाहता हूँ और न इस बारे में बताने चाहता हूँ।

प्रेम अपनी जगह है और संसार की व्यवहारिकता अपनी जगह है, कहते हैं कि मरने के बाद लोगों की बुराई नहीं करनी चाहिये, मैं बरसों से लोगों को समझा रहा हूँ कि हमेशा अपने परिवार के बारे में सोचो, वे ही हैं तुम्हारे पीछे, वे तुमसे किसी टार्गेट की उम्मीद नहीं करते, अगर किसी दिन बिना रोटी लिये घर आओगे न तो वे तुमसे उस दिन की रोटी नहीं माँगेंगे, वे बिना रोटी के भूख सहन करके सो जायेंगे, वे आपको ओर परेशान नहीं करेंगे, क्योंकि आप पहले से परेशान हैं, परंतु क्या वाक़ई आप अपने परिवार को मन से दिल से अपना पाये, या यह सब सोच पाये, नहीं तो कृप्या सोचिये।

मैं कोई नहीं होता किसी पर दबाव डालने वाला, बस विनती ही कर सकता हूँ, क्योंकि यह सदी का सबसे कठिन समय है, कब यह काल विकराल का रूप धर लेगा, किसी को पता नहीं।

लॉकडाउन में बेटेलाल

लॉकडाउन में बेटेलाल ने जमकर खाना बनाने का लुत्फ उठाया है, केवल वीडियो देखकर, थोड़ी अपनी अक्ल लगाकर जो पारंगत हुए हैं, काबिले तारीफ है।

खाना बनाना बहुत आसान नहीं है, इसमें सबसे मुश्किल है खाना बनाने के लिये अपने आप को तैयार करना। खाना बनाना दरअसल केवल महिलाओं का ही काम समझा जाता है, पर बेटेलाल कहते हैं कि जो स्वाद मेरे हाथ का होगा, वह किसी और के हाथ में नहीं, ध्यान रखना। वाकई स्वाद तो है।

आटा गूँथना भी रख स्किल है, रोटी, पराँठे, पूरी, बाटी, बाफले, मैदा सबको अलग अलग तरह से गूँथा जाता है। पर बेटेलाल अब इन सबमें परफेक्ट हो चुके हैं। उन्हें नान बहुत पसंद है, जिस दिन खाने की इच्छा होती है सबसे पूछ लेते हैं, फिर नान और पनीर की सब्जी बनाते हैं।

यही हाल इनका गेमिंग में है, पब्जी में पता नहीं कौन सी रैंकिंग हो गई है,चेस खेलने का शौक है तो पता नहीं कहाँ कहाँ के चेस के मैच देखते रहते हैं, फिर यूट्यूब के वीडियो, मूवीज और वेबसिरिज में लगे रहते हैं। पढाई जिस दिन मूड होता है किसी एक विषय का पूरा चेप्टर निपटा देते हैं। वीडियो में भी कुछ अलग ही देखते हैं, जैसे शार्क टैंक और भी कई एंटरप्रेन्योरशिप के कुछ अलग अलग।

रोको टोको मत बस, जो करना चाहते हैं करने दो, हम कहे, करो भई करो, इन सबका भी कुछ विधान ही होगा।

इंडियाबुल्स शुभ एप्प (Indiabulls Shubh App)

इंडियाबुल्स शुभ एप्प (Indiabulls Shubh App)

 

शेयर बाजार में ट्रेडिंग और ब्रोकरेज

जब हम शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू करते हैं तो हम सब नये रंगरूट रहते हैं और आगे बढ़ने के लिये हमें हमेशा ही किसी न किसी को गुरू बनाना पड़ता हैव शेयर बाजार की बारीकियों को सीखना पड़ता है। इस सीखने के शुरूआती दौर की बात करें या अनुभवी ट्रेडर की बात करें, ब्रोकरेज देना सभी को बहुत महँगा लगता है। एक समय था जब ब्रोकरेज डिलिवरी और ट्रेडिंग के लिये अलग अलग होता था, पर आज ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज आने से सब कुछ बदल गया है। अब समय यह आ गया है कि हमें ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज के 20रूपये एक कॉन्ट्रेक्ट पर देना महँगा लगने लगा है। तकनीकी की बात करें तो सभी ब्रोकरेज हाऊसेस के पास एक से बढ़कर एक तकनीक है। यहाँ ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज के साथ समस्या यह है कि हमें वहाँ से फंडामेंटल और टेक्नीकल कोई जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही हमें वे गाईड करते हैं। यह एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके लिये आज हम इंडियाबुल्स शुभ के बारे में बात करेंगे।

 

ट्रेडर और मार्जिन

ट्रेडर की बात करें तो उनके साथ समस्या मार्जिन की आती है, हमेशा ही हर ट्रेडर के लिये पूरा मार्जिन ब्रोकरेज हाऊस के साथ रखना संभव नहीं हो पाता है, तो कई बार हम सोचते हैं कि काश कोई ऐसा ब्रोकर होता जो हमारे से थोड़ा बहुत चार्ज लेकर हमें मार्जिन दे देता तो हम बड़े ट्रेड कर पाते। ट्रेडर के लिये ब्रोकरेज भी बड़ी रकम होती है, साथ ही अगर आप इंटराडे में इक्विटी ट्रेडिंग करते हैं तब भी ब्रोकरेज बहुत मायने रखती है।

 

कैसे करें अपने ब्रोकरेज में बचत

मैंने इस पर बहुत रिसर्च किया और यह रिसर्च मैं आपको यहाँ बताने जा रहा हूँ, मैंने शुरू में ट्रेडिशनल ब्रोकरेज के जरिये काम करना शुरू किया था तब फ्यूचर और ऑप्शन में 120 रूपये ब्रोकरेज एक कॉन्ट्रेक्ट के लिये लगता था, फिर मैंने ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज के जरिये काम करना शुरू किया तो मेरे ट्रेड ही एक दिन के इतने हो जाते हैं कि मेरा रोज का ही ब्रोकरेज 1000 रूपये के ऊपर हो जाता है।अब जिस ब्रोकर की बात मैं यहाँ करने जा रहा हूँ वे महीने के मात्र 1000 रूपये लेते हैं और आप अनलिमिटेड फ्यूचर और ऑप्शन या इक्विटी में ट्रेड कर सकते हैं।

 

इंडियाबुल्स शुभ (इंडियाबुल्स वेंचर्स)

 

ब्रोकरेज हाऊस का नाम है इंडियाबुल्स वेंचर्स जो कि बाजार में लीडिंग ब्रोकर हैं और इक्विटी, डेरिवेटिव, कमोडिटी और करंसी ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। 7 लाख से ज्यादा लोग इंडियाबुल्स के साथ शेयर कारोबार में ट्रेडिंग करते हैं।

 

इंडियाबुल्स शुभ एप्प(Indiabulls Shubh App)और ब्रोकरेज की गणना

इंडियाबुल्स शुभ

अभी हाल ही में इंडियाबुल्स ने शुभ एप्प लाँच किया है, और उसके साथ ही बहुत ही आकर्षक ब्रोकरेज प्लॉन भी बाजार में पहली बार दिये हैं, जैसा कि हमने अभी ब्रोकरेज की बात की तो आप अगर रोज के 5 ट्रेड करते हैं तो आपका ब्रोकरेज रोज का ही लगभग 300 रूपया हो जाता है, और महीने के 20 दिन का हिसाब लगायें तो लगभग 6000 रूपये हो जाता है। जबकि अगर आप इंडियाबुल्स शुभ एप्प से ट्रेड करते हैं तो आपको केवल महीने के 1000 रूपये ब्रोकरेज और जीएसटी के 180 रूपये मिलाकर 1180 रूपये ही देने हैं। तो आप केवल ब्रोकरेज में ही महीने के लगभग 5000 रूपये बचा सकते हैं। अगर आप ज्यादा ट्रेड करते हैं तो आप खुद ही अपने ब्रोकरेज की गणना कर लीजिये आपको अपनी ब्रोकरेज की बचत पता चल जायेगी। आप नीचे दी गये चित्र से ही ब्रोकरेज का अंदाजा लगा सकते हैं।

Brokerage Calculation

वैसे ही अगर आप ट्रेडिशनल ब्रोकर के जरिये अपने निवेश शेयर बाजार में करते हैं तो भी आप नीचे दिये गये चित्र से अपने लाभ को देख सकते हैं –

Traditional Brokerage

मार्जिन फंडिंग

वहीं अगर आप इक्विटी में अनलिमिटेड ट्रेडिंग प्लॉन  देखें तो मार्जिन फंडिंग की सुविधा शून्य ब्याज के साथ आपको मिल जाती है, इंडियाबुल्स शुभ के विभिन्न मार्जिन फंडिंग प्लॉन आप नीचे देख सकते हैं –

IndiaBulls Equity Unlimited Trading Plans

एक महीने का प्लॉन फ्री याने कि बिल्कुल मुफ्त

सबसे अच्छी बात यह है कि जब भी आप इंडियाबुल्स शुभ में रजिस्टर करते हैं तो आपको पहले एक महीने का प्लॉन फ्री है, याने कि आपको प्लॉन की फीस एक महीने के बाद ही देनी है। रजिस्टर करने के लिये 500 रूपये की फीस है, जो कि लगभग सभी ब्रोकरेज हाऊस लेते हैं।

Free for First 30 Days

इंडियाबुल्स शुभ के साथ रजिस्टर होने का सबसे बड़ा फायदा है कि ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज आपको रिसर्च प्रदान नहीं करते हैं, और ट्रेडिशनल ब्रोकर आपसे बहुत ज्यादा ब्रोकरेज लेते हैं, पर यहाँ आपको रिसर्च भी इंडियाबुल्स शुभ के द्वारा आपको दी जायेगी। अगर आप ट्रेडिंग या इक्विटी में नये हैं तो आप वेबसाईट पर जाकर शुभ एकेडमी पर सीख भी सकते हैं।

इंडियाबुल्स शुभ एप्प तकनीकी रूप से भी तेज

सबसे बड़ी समस्या ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर स्टेबिलिटी की होती है, कई बार एप्प क्रेश हो जाती है परंतु इंडियाबुल्स शुभ एप्प में आपको यह समस्या नहीं आयेगी और इंडियाबुल्स शुभ एप्प बहुत तेज चलती है जिससे आपको कभी भी ट्रेड करने में कोई असुविधा नहीं होगी।

इंडियाबुल्स शुभ एप्प डाऊनलोड कर लिजिये और आप केवल एप्प के जरिये ही केवल 10 मिनिट में अपने सारे दस्तावेज अपलोड करके अपना एकाऊँट खोल सकते हैं। गूगल एप्प स्टोर पर सर्च करिये IndiaBulls Shubh App और डाऊनलोड कर लीजिये।

 

एप्प पर कैसे अपना एकाऊँट खोलेंगे उसके लिये आप नीचे दिये गये वीडियो को देख सकते हैं –

https://youtu.be/bJgwzGFUFL8

ट्रेडिंग का अनुभव लेने के लिये आप नीचे दिये गये वीडियो को देख सकते हैं –

https://youtu.be/bJgwzGFUFL8

अगर आपको कोई प्रश्न है तो आप टिप्पणी करके पूछ सकते हैं।

 

ब्लॉग में php का अपडेट, निवेश क्यों करना चाहिये वीडियो, पंजीर लड्डू और सरकारी बैंकें

जिन चीजों के बारे में जानकारी न हों वे बहुत सारा समय खा जाती हैं, पिछले सप्ताह से परेशान था कि php का नया वर्शन कैसे ब्लॉग के लिये अपडेट करना है, आज भी सुबह से ३ घंटे परेशान हो लिया, क्योंकि वर्डप्रेस का नया वर्शन php के अपडेट के बाद ही अपडेट होता, होस्टगेटर ने नया सॉफ्टवेयर बहुत ही साधारण वाला बना दिया, पर कहीं कोई जानकारी नहीं, खैर cpanel और blog में backup लेकर अपडेट कर ही दिया। अब अपनी वेबसाईट php 7.3 पर हैं।

इसी कारण से पिछले सप्ताह से कोई ब्लॉग भी पोस्ट नहीं कर पा रहे थे, अब कर पायेंगे। Continue reading ब्लॉग में php का अपडेट, निवेश क्यों करना चाहिये वीडियो, पंजीर लड्डू और सरकारी बैंकें

वित्तमंत्री का यू टर्न U Turn of Finance Minister

वित्तमंत्री के कल बजट के गड़बड़ी वाले फैसलों में U टर्न के बाद शेयर बाजार के विश्लेषक सोच रहे थे कि अब सोमवार से बाजार फिर तेजी में आयेगा, पर कल रात में ही ट्रम्प बाबा ने गेम कर दिया और अमेरिकी शेयर बाजार 3% नीचे आ गये, ट्रम्प ने अमेरिकी कंपनियों को कहा है कि अपना धंधा चीन से समेटो और किसी और देश में धंधा लगाओ।

वैसे भी ट्रम्प बाबा बहुत बड़े वाले हैं, अगर उनको चीन की वाट लगानी है तो अपनी खुद याने कि अमेरिका की इकॉनॉमी की वाट लगानी पड़ेगी, क्योंकि चीन ही डॉलर बांड का बहुत बड़ा निवेशक है, और तभी चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।

तो अब विश्व में जबरदस्त मंदी आने में बहुत देर नहीं है, क्योंकि अगर किसी को परेशान करना हो, वजूद मिटाना हो तो डॉलर हिलेगा, और डॉलर हिला तो सारे देश डांस करेंगे।

यहाँ बताता चलूँ कि कल डॉलर 72 रूपये को पार कर गया है, और बस अब जल्दी ही 75 भी पार कर जायेगा। आप सबको जबरदस्त विकास की बधाई

कुछ फेसबुक स्टेटस

ऐसा लग रहा है कि चिदम्बरम के अंदर जाते ही सरकार को अर्थव्यवस्था सही करने के आइडिया आने लगे हैं, चिदम्बरम को अंदर ही रखो जब तक अर्थव्यवस्था ठीक न हो जाये, अब बेचारे को डंडे के दम पर ही सही सरकार को बताना पड़ रहा है।

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तो अभी तो चौपहिया वाहन बनाने वाली सभी कंपनियों की वाट लगी पड़ी है, पर दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों की बिक्री में गिरावट नहीं है, और हाँ ध्यान रखिये बजाज ऑटो अब आने वाली तेजी में मुख्य भूमिका निभायेगा, हीरो मोटर्स भी है, पर बजाज ऑटो मार्केट लीडर है।

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हम रहते हैं स्वच्छ भारत में जहाँ गोबर या कुत्ते की टट्टी यहाँ वहाँ सर्वत्र मिल ही जाती है, कल MG Road पर घूम रहे थे, हम हमारी दोस्त मंडली के साथ थे, सामने से दो भद्र महिलायें आधुनिक वस्त्र धारण किये हुए थीं, और बातें करते हुए चल रही थीं, तथा साथ ही एक महिला फोन पर चलते हुए कुछ टाईप भी कर रही थीं, तभी बीच में गोबर मिल गया, साथ चल रही महिला मित्र ने रोका अरे संभल कर, तो फोन वाली महिला, जोर से हिन्दी में बोली, बाय गॉड केक कटने से बच गया।

हम सोच रहे थे कि हम ताली बजाकर जन्मदिन मुबारक थोड़े ही गाने वाले थे 😂😂😂😂

#MG_रोड_के_किस्से

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लो जी अब पता चला है कि लार्ड माउंटबेटन होमो था, तब भी नेहरू जी से बहुत पटती थी, आश्चर्य है। यह भी हो सकता है कि इसी ब्लैकमेल के चलते वो प्रधानमंत्री बने हों, FBI फाइल्स खोलो मोटा भाई, जबरदस्त मसाला मिला है।

1971 के युद्ध की बात और पाक एयर फोर्स का भारत में घुस आऩे की खबर से शेयर बाजार गिरा

कल एक कलीग से बात हो रही थी, वो बता रहे थे कि उनकी माताजी बताती हैं 1971 के युद्ध में जब उनके पिताजी भी हिस्सा लेने गए, वे नेवी में थे और नेवी की कॉलोनी में रहते थे। किसी को पता नहीं था कि वे कहाँ जा रहे हैं।

कुछ दिनों बाद समाचार आया कि पाक के तारपीडो ने हमारे एक जहाज को उड़ा दिया है और वो समुद्र में डूब गया है, तो पूरी कॉलोनी शोक में डूब गई गई थी, किसी के घर 2 दिन तक चूल्हा तक नहीं जला था।

जब तीसरे दिन खबर आई कि आईएनएस खुखरी डूबा है, तब जाकर इनके यहाँ मातम शोक कम हुआ, पर खुखरी पर सवार जवानों के घर पर मातम गहरा गया था।

युद्ध का उन्माद केवल जनता के लिये रोमांच है, पर वे खुद लड़ना नहीं चाहते, अगर इतना ही लड़ने की इच्छा है तो आप प्रण कीजिये कि अपने घर से कम से कम एक बच्चे को युद्ध के लिये सेना में भेजेंगे।

केवल जानकारी के लिये बता दूँ कि ये मुस्लिम मित्र हैं, पर जब भारत ने पाक के ऊपर नभ से कार्यवाही की, तो उनकी खुशी देखते नहीं बन रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो खुद एक जंग जीतकर आ रहे हैं, कल जब पाकिस्तान ने नभ से आक्रमण किया तो बहुत खिन्न थे, और केवल एक वाक्य था कि इनको तो नक्शे से मिटा देना चाहिये, पर इसमें भारत फिर से 1947 की वित्तीय परिस्थितियों में पहुँच जायेगा, क्योंकि वे खुद एक बड़े वित्तीय विश्लेषक हैं।


कल शेयर बाजार बहुत अच्छा कर रहा था, और निफ्टी 125 अंक ऊपर तथा बैंक निफ्टी ३५० अंक ऊपर लगभग 27180 के आसपास था, जैसे ही सवा ग्यारह की पाकिस्तानी हवाईजहाजों के भारत में घुसने की खबर आई, और पुष्टि हुई, अचानक से बाजार में बिकवाली आ गई, और निफ्टी 175 अंक नीचे तथा बैंक निफ्टी 450 से ज्यादा अंकों से नीचे था।और 12 बजे से ही नो ट्रेड के मैसेज भी आने लगे, कि डन फॉर द डे। चित्र में देख सकते हैं कि कैसे बैंक निफ्टी लुढ़का और फिर लगभग बाजार में नो ट्रेड डे ही रहा।

खुद सोचिये कि वित्तीय बाजार इतनी सी घटना को इतना गंभीरता से लेता है तो युद्ध की परिस्थितियों में क्या होगा, हालांकि हमारे कई मित्र कल कराँची स्टॉक एक्सचेंज के 1700 अंक नीचे याने कि लगभग 4% नीचे था, उसकी काफी खुशियाँ मना रहे थे।

बैंक निफ्टी 27-Feb-2019

अमेरिका का व्यापार जो अब बाहर जा रहा है केवल H1B वीजा न देने के कारण

दुनिया में बहुत कुछ बदल रहा है, पर उस बदलाव का लोगों को अहसास ही नहीं होता है, जो जोर शोर से बाहर आता है, केवल वही पता चलता है।
 
ट्रम्प ने H1B के लिये बहुत सी सख्तियाँ की हैं, तो असर सीधे उनके व्यापार पर दिखाई दे रहा है। अमेरिका के नंबर एक बैंक के पास काम करने के लिये तकनीकी और विषय विशेषज्ञ लोगों की भयंकर कमी है, और जो हैं वे काम को सँभाल नहीं पा रहे हैं। कंपनियों या बैंकों का मुख्य काम होता है व्यापार बढ़ाना और उनके मालिक लोग यह सुनिश्चित भी करते हैं।

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14 जून रक्तदान दिवस है Celebrating the Blood Donors #SharingLife

Celebrating the Blood Donors #SharingLife

Donating blood is not only a noble act but also a necessary one. Blood that matches the receiver’s blood group and which is safe to be used is difficult to find easily in hours of emergency. To promote this noble cause we celebrate 14th June as World Blood Donors Day.

On this day we express our gratitude towards the individuals who donate their blood with the hope of saving a precious life. To further support this cause a new app, named Life is also available on the Google Play Store. This app helps you locate donors and recipients in nearby places easily in hours of need.

Donating blood does not only let you save a life, but also lets you share your life with someone in need. It is an act of passing on something precious to someone who needs it more. So, let us all pledge to donate towards saving precious lives, and contribute towards making the world a better place.

#SharingLife

रक्तदान करना बहुत अच्छा काम है और हमें यह निश्चित अंतराल पर करते रहना चाहिए, जिससे हम हमारे समाज में रक्त के लिए हुई कमी को पूरा कर सकें।

हमें उन सभी व्यक्तियों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए जो रक्तदान करके अनमोल जीवन को बचाने का प्रयत्न कर रहे हैं। यह एक नया ऐप है लाइफ जो कि गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है, तो इस एप से आप अपने आसपास के रक्तदाताओं को या फिर जिनको जरूरत है उन लोगों को आराम से ढूंढ सकते हैं।

तो आइए हम भी प्रतिबद्ध हो की हम भी रक्तदान में सहयोग करेंगे जिस से हम कई अनमोल जीवन को बचा सकें। रक्तदान करने के पहले हमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए

1) अगर शराब का सेवन करते हैं तो 48 घंटे तक शराब का सेवन ना किया हो।

2) अगर धूम्रपान करते हैं तो कम से कम 4 घंटे तक धूम्रपान न किया हो ।

3) अगर कुछ खाया पिया हो तो वह कम से कम 3 घंटे पहले खाया पिया हो।

महाकाल में वीआईपी दर्शन VIP Darshan in Mahakal

वैसे मैं महाकाल की व्यवस्था पर लिखने से हमेशा ही बचता हूँ, क्योंकि लगता है कि इससे लोगों की आस्था कम होती है।

परंतु फिर भी इस पर आज लिख रहा हूँ, मैं हमेशा ही महाकाल में वीआईपी दर्शन करता हूँ, पहले इसका शुल्क 151 रूपये था और अब सुविधाओं के नाम पर इसे बढ़ाकर 250 रूपये कर दिया गया है। वीआईपी दर्शन इसलिये करता हूँ, कि इसमें दिया गया धन का दुरूपयोग नहीं हो सकता है, इसका हिसाब ऑडिट वगैराह में देखा जाता है, अगर दान पात्र में हम दान देते हैं तो हमें कोई सुविधा नहीं मिलती है एवं अगर पंडे पंडितों को सीधे देते हैं तो वह उनकी जेब में जाता है।

वीआईपी दर्शन का टिकट लेने के बाद वहीं पर जूते चप्पल स्टैंड पर हमने जूते उतारे, यहाँ पता चला कि अब ये जूता चप्पल स्टैंड केवल वीआईपी दर्शन के टिकट वालों के लिये ही है। दर्शन करने के बाद जब महाकाल से बाहर आने की बात आई तो पता चला कि बाहर जाने का एक ही रास्ता है, और वहाँ पर पैर न जलें इसके लिये कोई व्यवस्था नहीं है। हालत यह है कि मुझे और मेरे परिवार को अभी तक पैरों में जलन की तकलीफ सहन करना पड़ रही है।

जब वापिस जूते चप्पल लेने पहुँचे तो वहाँ पर सहायक प्रशासनिक अधिकारी का कार्यालय दिखा, हम पहुँचे वहाँ कि हमें शिकायत पुस्तिका दें, हमें शिकायत करनी है, तो हमें कहा गया कि यहाँ शिकायत पुस्तिका नहीं है, आपको 3 मंजिला महाकाल के प्रशासनिक भवन में जाना होगा। अधिकारी तो वहाँ थे नहीं, परंतु उनके बात करने के अंदाज से यह जरूर लगा कि बहुत से वीआईपी टिकट वाले लोग वहाँ आकर शिकायत करते हैं, परंतु शिकायत पुस्तिका के अभाव में बात सही जगह तक नहीं पहुँच पाती है। वहाँ बैठे सारे लोग अपने मोबाईल में सिर घुसाये मिले।

बाबा महाकाल के हम भक्त हैं, और महाकाल में प्रशासन के नाम पर लूटने वाले लोग और मानवीयता को शर्मसार करने वाले प्रशासनिक अधिकारी जो कि अपने अपने ए.सी. केबिन में बैठकर सुस्ताते रहते हैं, उम्मीद है कि वे भी महाकाल के भक्त होंगे और भक्तों की तकलीफ को समझेंगे। शिकायत पुस्तिका केवल महाकाल प्रशासनिक कार्यालय में ही क्यों उपलब्ध है, यह तो वीआईपी दर्शन के दरवाजे पर भी उपलब्ध होनी चाहिये, जहाँ टिकट मिलते हैं उस काऊँटर पर भी उपलब्ध होनी चाहिये।

वीआईपी काऊँटर पर लिखा हुआ है कि कार्ड से भी भुगतान स्वीकार किया जाता है, परंतु जिस समय हम पहुँचे तो काऊँटर क्लर्क किसी और को बैठाकर कहीं चला गया था और उन सज्जन को कार्ड की स्वाईप मशीन ही नहीं मिल रही थी, और हमें यह भी कहा कि उन्हें कार्ड की स्वाईप मशीन का उपयोग करना ही नहीं आता है। समझ नहीं आता कि महाकाल प्रशासन हर जगह महाकाल भक्तों से शुल्क वसूलने में लगा है, जैसे कि भस्मारती पर अब ऑनलाईन 100 रूपये और ऑफलाईन 10 रूपये का शुल्क वसूला जा रहा है। परंतु भक्तों को सुविधाओं के नाम पर केवल असुविधा ही मिल रही है।

महाकाल केवल अब वीआईपी लोगों के लिये ही सुविधाजनक है, सामान्य भक्त के लिये प्रशासन सारी मानवीय मूल्यों को भूल चुका है। उम्मीद है कि मेरी यह शिकायत महाकाल प्रशासक और उज्जैन कलेक्टर तक जरूर पहुँचेगी।