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१४११ बाघ बचाने की मुहीम – @ सभी ब्लॉगर्स, नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग सभी को संबोधित (1411 Save Tigers Mission A message to all…)

    @ सभी ब्लॉगर्स (जिन्होंने टिप्पणी दी है और नहीं भी दी है, जिन्होंने पिछले पोस्ट  के शेर के फ़ोटो देखे हैं या नहीं देखे हैं ) , नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग  – ये तो सब मीडिया का पब्लिसिटी स्टंट है। कुछ नहीं होने वाला है, जो मार रहा है उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है और जो मर रहा है वो तो मर ही रहा है। हम और आप केवल शीर्षक में १४११ जोड़कर उनका मजाक ही उड़ा रहे हैं, और मीडिया पब्लिसिटी के बहकावे में आ जाते हैं। क्या है हमारी जिम्मेदारी, जिनकी जिम्मेदारी है वो लोग बाघ को बचाने के लिये कितनी जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं मतलब सरकार और उसके मुलाजिम।

    हम और आप लोग कैसे इस १४११ पर लेख, आलेख, निबंध लिखकर बाघों को बचा लेंगे, क्या बाघ इन आलेखों को पढ़ने आयेगा, नहीं भई बाघ नहीं आने वाला है, ये तो सरेआम केवल एक शोशेबाजी हो रही है, कि किसी भी चीज को कैसे हाईप दिया जाता है, जबरदस्त तरीके से कैम्पेनिंग कैसे किया जाता है ये तो इन मीडिया और राजनीतिक पार्टियों से पूछें।

    बेचारे स्कूल वाले तो १४११ बाघ को बचाओ के नाम पर बच्चों से क्या क्या नहीं करवायेंगे। परंतु वो बच्चे और वे स्कूल वालों का क्या कोई संबंध है, इन बाघों को बचाने में, नहीं, बिल्कुल भी नहीं।

    जब कोई भी चीज खत्म होने की अग्रसर होती है तब किसी को कोई चिंता नहीं होती है, सब बहुत ही लापरवाही से लेते हैं, और जब खत्म होने को आ जाती है जैसे कि ताजा उदाहरण १४११ बाघ बचे हैं, तब सब लोग चिल्लाते हैं, जैसे जनता जिम्मेदार है इस सबके लिये, अरे हर पाँच साल में जो हमारे दरवाजे पर वोट की भीख माँगने आता है, उसको हम क्यों भीख देने के लिये उदार हो जाते हैं, जब वो सरकार में रहकर अच्छे से काम ही नहीं कर रहा है। ये लोग कभी खत्म नहीं होंगे ये तो अमरबेल जैसे बड़ते ही चले जायेगे इन लोगों की संख्या हरपल १४११ बड़ती रहेगी। पर इन बाघों का क्या..

   देखिये बुद्धूबक्से पर नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग १४११ बाघ को बचाने के लिये टीशर्ट पहने कर डॉयलाग मार रहे हैं, कि मैं कितना महान प्रयास कर रहा हूँ, आप भी इस महान प्रयास में मेरा साथ दें, अरे इन लोगों ने कभी ये भी जानने की कोशिश की है कि ये १४११ बाघ रहते कहाँ हैं, और क्यों इनकी संख्या १४११ रह गई है।

    क्या हम इन १४११ बाघों के ऊपर लिखने से, बोलने से  इन १४११ बाघों को  बचाने में सफ़ल होंगे और इनकी संख्या बड़ा पायेंगे क्या गारंटी है कि हम इन १४११ बाघों को भी बचा पायेंगे, थोड़े सालों बाद फ़िर मीडिया केवल राग अलापेगा कि बाघ प्रजाति लुप्त हो गई और इन १४११ बाघों की कहानी बन जायेगी। कि आमजन ने क्या क्या नहीं किया था इन १४११ बाघों के लिये…

   सोचिये और बताईये क्या हम १४११ बाघों के लिये क्या वाकई कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो इनकी रक्षा करे…?

उसे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि दुनिया के लिये तुम क्या हो.. १४११ (It does not matter Who you are…1411)

हो सकता है कि तुम दुनिया पर राज करते हो –
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हो सकता है कि आप बहुत खतरनाक हों –
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हो सकता है कि आप स्वतंत्र हों –
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हो सकता है कि कुछ लोग आपका हुक्म मानते हों, या पूरी दुनिया भी मानती हो –
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हो सकता है कि हर कोई तुम्हें प्यार करता हो –
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भले ही तुम बहुत सज्जन हो –
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या फ़िर दुनिया के सबसे खतरनाक शिकारी –
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लेकिन सच्चाई तो यह है…

जब आप अपने घर पर होते हो….. तो….

बीबी तो बीबी ही होती है –
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उसे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि दुनिया के लिये तुम क्या हो..

इसे भी देखिये –

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जीवन बीमा को समझिये – कुछ सवाल खुद से पूछिये और खुद को जबाब दीजिये… (Simple questions for yourself on Life Insurance..)

    एलआईसी की एन्डोमेन्ट योजना और यहाँ तक की सारी योजनाएँ सचमुच बहुत अच्छी हैं ? और क्या वह सब कुछ आप पा रहे हैं जो आपको एक बीमा के रुप में किसी भी बीमा कंपनी से मिलना चाहिये ?

    सवाल है कि एलआईसी योजनाएँ जैसे कि जीवन आनंद जो कि जीवन का जोखिम प्रदान करती हैं जिंदगी भर और परिपक्वता के बाद एकमुश्त भुगतान मिलता है वह भी करमुक्त । क्या यह अच्छी योजना नहीं है ?

    क्या इस जीवन बीमा योजना को बीच में ही खत्म कर देना चाहिये और इसकी जगह सावधि जीवन बीमा योजना (Term Insurance) ले लेना चाहिये क्या यह समझदारी भरा निर्णय होगा ?

    इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि बीमा योजना का नाम क्या है, जीवन आनंद, जीवन मित्र, जीवन सुरभि, जीवन श्री, जीवन निधि, जीवन अमृत, जीवन साथी, जीवन तरंग, जीवन भारती या जीवन वर्षा। ये सब पारंपरिक जीवन बीमा योजनाएँ हैं, (चाहे वह एन्डोमेन्ट, मनीबैक, पूरी जिंदगी के लिये या इन सबको मिलाकर कोई ओर) ये सब सबसे खराब तरह की बीमा योजनाएँ हैं । जिनसे समाज और व्यक्ति को आर्थिक नुकसान ही हो रहा है।

फ़िर भी, इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें –

१. बीमा और निवेश में क्या अंतर है ?

२. जीवन बीमा का एकमात्र उद्देश्य क्या है ?

३.क्या आपको अपने बुढ़ापे के लिये वाकई बीमे की आवश्यकता है ?

४. आपके जीवन बीमा की राशि आपकी आमदनी और आपके रहन सहन के अनुरुप है ? जीवन बीमा की राशि आपके परिवार की जरुरतें पूरा करने में समर्थ है ?

५. अगर आपको दुर्भाग्य से कुछ हो गया तो ? तो क्या ये तथाकथित भ्रमपूर्ण जीवन बीमा योजनाएँ निकट भविष्य में आपके परिवार की वित्तीय जरुरतों को पूर्ण करने में सक्षम होंगी ? जो दावा भुगतान राशि इन योजनाओं से मिलेगी क्या वह आपके परिवार के लिये काफ़ी होगी ?

६. वार्षिक प्रीमियम जो कि आप बीमित राशि पर भरते हैं कितना अनुपात में भरते हैं ? क्या आपने कभी सोचा है कि आप जितनी राशि अपने इन एलआईसी की बीमा के लिये भरते हैं, उससे आपको कितनी सुरक्षा मिल रही है, अगर आप निकट भविष्य में प्रीमियम भरने में असमर्थ होंगे तो फ़िर क्या होगा ? सोचा है कभी ?

७. क्या आपने कभी खुद बैठकर गणना की है कि किस दर से हमें बीमा कंपनी परिपक्वता पर पैसा देने वाली है ?

    मुझे उम्मीद है कि जब तक आप इन सवालों के उत्तर देंगे, तब तक आप अच्छी तरह से जीवन बीमा को समझ चुके होंगे और यह भी जान चुके होंगे कि जीवन बीमा कितना जरुरी है और क्यों जरुरी है ?

    इसके अलावा, कंपनियों के स्लोगन “कर मुक्त वापसी”, मैं आपको एक और आश्चर्यजनक बात बताता हूँ – कि वास्तव में कर रियायत की वास्तविक लाभ बीमा कंपनियाँ उठाती हैं, बीमित व्यक्ति नहीं। यह कर के रुप में दिये जाने वाले प्रोत्साहन का सरासर मजाक है। लेकिन मैं जानता हूँ कि आपको यह समझ में नहीं आयेगा क्योंकि हम केवल वही सुनते हैं, जो हम सुनना चाहते हैं। जिस तरह से हम सोचते हैं, वह बीमा कंपनियों का काम और आसान कर देता है।

    मेरे पास कोई बीमा एजेन्ट आता है तो अपने सिर पर पैर रखकर वापिस भाग जाता है या फ़िर बोलता है कि कृपया हमें बीमा के बारे में और जानकारी दीजिये।  कोई बड़ी बात नहीं है आप भी इन बीमा एजेन्टों की खटिया खड़ी कर सकते हैं अगर सही बीमा उत्पाद के बारे में पता होगा तो ।

    क्या हुआ उलझ गये ? कुछ उलझन हो तो जरुर बताईये टिप्पणी करके और समझ गये तो सहमति दीजिये टिप्पणी करके।

आखिर मैं कब तक भाग-भाग कर जिंदगी को पकड़ता रहूँगा..मेरी कविता…विवेक रस्तोगी

आखिर मैं कब तक

भाग-भाग कर जिंदगी को पकड़ता रहूँगा

कभी एक पहलू को छूने की कोशिश में

दूसरा हाथ से निकल जाता है

और बस फ़िर दूसरे पहलू को

वापस अपने पास लाने की

जद्दोजहद उसके समीकरण

हमेशा चलते रहते हैं,

इसी तरह

कभी भी ये दो पहलू

मेरी पकड़ में ही न आ पायेंगे

और मेरी नियति कि मैं

भाग-भाग कर जिंदगी को पकड़ता रहूँगा

पर अंत में

केवल पकड़ में आयेगा एक तीसरा पहलू

सर्वोच्च सच्चाई,

जो इस तृष्णा जैसी नहीं होगी

फ़िर मुझे कहीं भागना भी न होगा

बस उसी सच्चाई में रहना होगा

उस पल का इंतजार करते हुए

तब तक

मुझे भाग-भागकर जिंदगी को पकड़ना होगा।

सावधि जीवन बीमा योजना – जीवन बीमा के बारे में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले तथ्य (Some Amazing Truths about Term Insurance..)

    यह बात बिल्कुल सही कही गई है कि आज कल की दुनिया में सामान्यबोध, बिल्कुल असामान्य हो चुका है। जी हाँ आज की दुनिया का यह एक कड़वा सच है। खैर इस पोस्ट में जीवन बीमा सावधि योजनाओं को मैं अच्छा साबित करने की कोशिश कर रहा हूँ।

    यहाँ दस बुनियादी सवालों की एक सूची में दे रहा हूँ, जो कि आपको जीवन बीमा में निवेश करते समय या खरीदते समय आपको इसके ऊपर सोचना चाहिये –

१. जीवन बीमा का सबसे सरल तरीका क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

२. जीवन बीमा लेने का सबसे सस्ता तरीका क्या है?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

३. जीवन बीमा का सबसे बुनियादी और विशुद्ध रुप क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

४. जीवन बीमा का सबसे अच्छा तरीका क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

५. कौन से जीवन बीमा योजना तुलना करने के लिये सबसे सरल हैं ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

६. जीवन बीमा योजना लेने का सबसे अच्छा तरीका क्या है जिसे आप आर्थिक रुप से वहन कर सकें ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

७. जीवन बीमा की कौन सी योजनाओं के बारे में आपका बीमा एजेन्ट या बीमा सलाहकार चर्चा करने को ही तैयार नहीं होता है, या आपको खरीदने के लिये हतोत्साहित करता है?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

८. कौन सी बीमा योजना की बिक्री सबसे कम होती है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

९. कौन सा बीमा योजना है जो आप आसानी से समाप्त कर सकते हैं?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

१०. कौन सा सबसे अच्छा उपहार है जो आप अपने परिवार को दे सकते हैं ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

    क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है? जीवन बीमा  का सबसे अच्छा तईका होने के बाबजूद, सावधि जीवन बीमा  की बिक्री बहुत कम है। जबकि सावधि जीवन बीमा योजनाएँ, जीवन बीमा  करवाने का सबसे असरकारी, प्रभावी तरीका है, पर केवल कुछ ही लोग इसके बारे में जानते हैं।

    खैर, आपको कौन सा जीवन बीमा चुनना चाहिये ? आपको खुद ही तय करना है !

    अरे भाई !! अब किसका इंतजार करे रहे हो ? अभी फ़ोन उठाओ और अपने बीमा सलाहकार को बुलाओ और सावधि जीवन बीमा योजना खरीदने के लिये पूछो, कि कितने का है और कम से कम ४-५ विभिन्न बीमा कंपनियों के सावधि बीमा योजनाओं में तुलना कर लें इसके लिये आपको थोड़ी ओर मेहनत करनी होगी कि इन ४-५ बीमा कंपनियों के बीमा कितने के हैं, वो भी पता करना होगा तुलना करकर सबसे अच्छी और सस्ती योजना खरीद लीजिये। देर मत कीजिये, मैं सही कह रहा हूँ आप कभी भी अपने इस निर्णय के लिये नहीं पछताओगे।

    लेकिन इसे खरीदने के पहले, मैं आपको इस सावधि जीवन बीमा योजना  के बारे में यह बात बता दूँ कि जब यह बीमा खत्म होगा तो आपको कुछ भी मिलने वाला नहीं है। यह तथ्य ज्यादातर लोगों को पचने वाला नहीं है क्योंकि सबको अपने पैसे से बहुत ज्यादा प्यार होता है और इसी का फ़ायदा ये बीमा एजेन्ट उठाते हैं, इसी के फ़लस्वरुप जीवन बीमा के सही उद्देश्य से लोग भटक जाते हैं, और ये बीमा एजेन्ट लोगों को जीवन बीमा के सबसे मुख्य उद्देश्य से भटकाते हैं।

    अच्छा एक बात मुझे बताईये, जब आप अपने वाहन का बीमा करवाते हैं तो क्या उस रकम की वापसी की कोई उम्मीद करते हैं ? नहीं, इसी तरह यह विशुद्ध तरीका है जीवन बीमा का। अब तो इस तथ्य को समझिये कि जीवन बीमा का विशुद्ध रुप सावधि जीवन बीमा योजना (Term Life Insurance) है, और यह सुरक्षा देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है। परिवार को सुरक्षित रखने के लिये, अपने परिवार को विजेता बनाने के लिये, दुख से बचाने के लिये यह सावधि जीवन बीमा योजना  आपके पास होना ही चाहिये। मुझे उम्मीद है कि मैं सही तरीके से अपनी बात रख पा रहा हूँ, अगर समझ गये हैं तब भी और नहीं समझे हैं और भी कुछ प्रश्न हैं तो टिप्पणी करें।

सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं के बारे में : कुछ तथ्य जिनके बारे में कम लोग जानते हैं.. (Something about Term Insurance…)

    मैंने अपनी पहली की पोस्टों में टर्म इंश्योरेन्स के बारे में बताया है, और उसमें सावधि जीवन बीमा योजना लेने की ही सलाह दी है ।

   उसी को जारे रखते हुए, इस पोस्ट में कुछ और चीजों को बता रहा हूँ जिसके बारे में निवेशकों और बीमाधारकों को कम जानकारी है, जिससे आप अपने जीवन में बीमा कौन सा लेना चाहिये और वह कितना महत्वपूर्ण है, इसका निर्णय अच्छे से ले पायेंगे।

सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं के बारे में : कुछ तथ्य जिनके बारे में कम लोग जानते हैं

१. सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं को जीवन बीमित करने का सबसे अच्छा साधन क्यों माना जाता है ?

    सावधि बीमा योजना को आपके परिवार की सुरक्षा के लिये बनाया गया है। यह जीवन बीमा का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि इस जीवन बीमा का केवल और केवल एक ही उद्देश्य है आपके परिवार की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना, अगर दुर्भाग्य से कुछ हो जाता है तो। मौत के साथ ही परिवार का एक कमाने वाला सदस्य चला जाता है, जो कि घर चलाने के लिये आय करता था, अब घर चलाने के लिये आय तो नहीं आने वाली है, इस योजना से प्राप्त धन से आपका परिवार आपकी अनुपस्थिती में सम्मान के साथ अपना जीवन उसी रहन सहन के स्तर पर व्यतीत कर सकता है।

    जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, कि टर्म बीमा योजनाओं से उच्च बीमा कवरेज ले सकते हैं वो भी बहुत ही कम कीमतों पर। यह एक बहुत ही आश्चर्यजनक तथ्य है, परंतु इस पर कोई ध्यान नहीं देता है।

२. शुद्ध जोखिम बीमा योजनाओं को टर्म बीमा क्यों कहा जाता है ?

    बहुत ही दिलचस्प सवाल है, इस तरह की योजनाओं को सावधि बीमा योजना कहा जाता है क्योंकि ये एक “निश्चित / निर्धारित अवधि” के लिये होता है। परंतु यह योजनाएँ पूरी जिंदगी के लिये क्यों नहीं होती हैं ? क्योंकि बीमा का उद्देश्य है कि बीमाधारक की मृत्यु की स्थिति में परिवार को सुरक्षा देना। लेकिन जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस दुनिया में दो ही चीजें निश्चित हैं, “मृत्यु और टैक्स”। तो सावधि जीवन बीमा शुद्ध जीवन बीमा है जो कि पूरी जिंदगी के लिये उपलब्ध है। जब तक कि आपको इसकी जरुरत है। एक निश्चित समय के बाद तो आपके पास इतना धन हो ही जाता है कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में भी आपका परिवार अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

३. बीमा कंपनियों के एजेंट सावधि बीमा योजनाओं को बेचने में संकोच क्यों करते हैं ?

    एक और अच्छा सवाल, नहीं! जीवन बीमा कंपनियाँ दूसरे व्यापारों की तरह तेजी से पैसा बनाना चाहती हैं। उनका स्वार्थ (जो कि पैसा बनाना है) ग्राहकों के हित के पहले आता है। अब जैसे कि यूलिप योजनाएँ जो कि एक ऐसा उत्पाद है जिसमें निवेश ज्यादा और जोखिम कम कवर किया जाता है, जिससे बीमा कंपनियों को ज्यादा मुनाफ़ा होता है, सावधि (टर्म) बीमा के बनिस्बत, ये उत्पाद (यूलिप) सामने दिखाते हैं कि निवेश से पैसा भी बनाओ और बीमित भी हो जाओ, और जोर शोर से विज्ञापनबाजी करते हैं। दूसरी ओर, सावधि बीमा योजना को निवेशक से छिपाकर रखते हैं, कि कहीं निवेशक की नजर इन शुद्ध बीमा योजनाओं पर न पड़ जाये, जिसमें आम आदमी का हित भी है।

    इसी प्रकार, बीमा एजेंट का आदर्श होता है पैसा बनाना (ग्राहक जाये भाड़ में, उसे क्या फ़र्क पड़ता है)। उसे तो ज्यादा कमीशन मिलता है ऐसे उत्पादों से जो कि निवेश ज्यादा बीमा कम (यूलिप) प्रकृति के होते हैं, जबकि सावधि बीमा योजना में उसे बहुत कम कमीशन मिलता है।

४.  लेकिन क्या वाकई लोग समझदार नहीं हैं, जानते नहीं हैं, कि उनके लिये कौन सी बीमा योजना सबसे उपयुक्त है ?

    असल में, यह युग है हाई फ़ाई विज्ञापनबाजी का, जीवन बीमा कंपनियाँ अपने उच्च बिक्री विज्ञापनों में दिखाकर लोगों को आसानी से विचलित कर देती हैं, और अपने नरक तुल्य उत्पादों को आसानी से बेच लेते हैं।

    इसके अलावा, ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि जीवन बीमा उत्पाद केवल कर बचत और निवेश के लिये होते हैं, जो कि बीमा कंपनियों का काम बहुत ही आसान कर देता है। मुझे समझ में नहीं आता कि सरकार लोगों को जीवन बीमा में पैसे निवेश करने की छूट आयकर में देकर प्रोत्साहित क्यों करती है, इसकी संभावित वजह केवल एक ही हो सकती है, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के हितों की रक्षा, जो कि भारत सरकार का बनाया गया संस्थान है।

    एक और कारण यह भी है कि हम भारतियों की गहरी धारणा है कि हमें परिपक्वता पर कुछ न कुछ वापस प्राप्त होना चाहिये। और इससे ऊपर, कोई भी आसामयिक मौत के बारे में सोचना ही नहीं चाहता है, और उसके लिये कोई योजना भी नहीं बनाना चाहता है। साधारणतया बोलकर निकल जाते हैं “मौत आये मेरे दुश्मनों को” ।

    यद्यपि जीवन बीमा वास्तव में “मृत्युपर्यन्त लाभ” के लिये होता है परंतु लोग इसे खरीदते हैं “जीवनपर्यन्त लाभ” के लिये।

    मैंने यह पोस्ट जीवन बीमा उद्योग द्वारा अपने वित्तीय स्वास्थ्य को बेहतर करने के प्रयासों के विरुद्ध लिखी है, ये कंपनियाँ बिल्कुल उसी तरह से लोगों को नुक्सान पहुँचा रही हैं जैसे कि पैकेजिंग फ़ूड उद्योग हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को पहुँचा रहे हैं।

    मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप में से कुछ लोग बुद्धिमानी से शुद्ध जीवन बीमा खरीदेंगे, निवेश वाले उत्पाद नहीं। पोस्ट पढ़ने के बाद शायद लोगों को जीवन बीमा का उद्देश्य समझ में आ जायेगा और शुद्ध जीवन बीमा खरीदेंगे।

    आगे आने वाली पोस्टों में आप और सावधि बीमा योजनाओं के बारे में और जानेंगे। तब भी अगर आप सावधि जीवन बीमा योजना के महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसे अपनी व्यक्तिगत वित्तीय योजना के भाग के रुप में शामिल नहीं कर रहे हैं, और अगर करने वाले हैं तब भी टिप्पणी कर बतायें।

सा….ब को दो प्लेट मिस्सल और दो चाय मार….

    शीर्षक देखकर चौंक गये क्या, अरे यह आम भाषा है हमारे यहाँ मालवा में। किसी भी छोटे होटल में जहाँ सुबह सुबह पोहे, उसल पोहे और चाय मिलती है, वहाँ पहुँच जाईये, और अंदर बैठ जाईये। आप अपना ऑर्डर काऊँटर वाले को अपनी जगह पर बैठे हुए ही दे देंगे या फ़िर कोई लड़का आकर ऑर्डर ले लेगा। और फ़िर अपने विशेष अंदाज में छोटूनुमा लड़के को बोलेगा – ऐ छोटू सा..ब को दो प्लेट मिस्सल और दो चाय मार। अब अपन तो ये सब बचपन से ही ये सब देखते आ रहे हैं, इसलिये ये भाषा और ये बातें हमें कोई जुदा नहीं लगती हैं। हाँ अगर ये भाषा सुनने को न मिले तो अच्छा नहीं लगता है।

    हमारे मामाजी मामीजी अपने लड़के के पास महू आ रहे थे, भोपाल तक ट्रेन से आये और फ़िर टैक्सी से महू जा रहे थे, तो इंदौर में नाश्ता करने के लिये रुक गये, बस स्टैंड के पीछे महारानी रोड पर, छोटे से होटल पर, उन्होंने भी ऑर्डर किया दो मिस्सल और दो चाय। तो फ़िर आवाज हुई “सा..ब को दो प्लेट मिस्सल और दो चाय मार”, तो उनको पता नहीं था कि यह यहाँ की भाषा है और शायद पेटेंट भी । उन्होंने सोचा कि ये मारने की क्यों बोल रहा है, क्या यहाँ मारके दिया जाता है, या चाय हमें दूर से फ़ेंक कर देगा। बहरहाल उनके लिये तो बहुत ही असमंजस वाली स्थिती हो गई। इंतजार करते रहे और मिस्सल भी आई और चाय भी पर मार कर नहीं।

    जब वे उज्जैन आये और हमको ये किस्सा सुनाया तो हम बहुत पेट पकड़ पकड़ कर हँसे क्योंकि वो इस बात पर नाराज हो रहे थे, कि क्या भाषा है अच्छे से अच्छा आदमी घबरा जाये।

    तो आपको कैसा लगेगा अगर कहीं होटल पर कहा जाये “सा..ब को दो प्लेट मिस्सल और दो चाय मार” ..

तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 10)[Darshan of ShrikalaHasti Shiva…]

    श्रीकालाहस्ती शिवजी की स्थली है, जो कि बहुत ही प्राचीन और भव्य मंदिर है, मैंने शायद आज तक इतना भव्य प्राचीन मंदिर कहीं देखा होगा। स्थापत्य का तो बेजोड़ नमूना है।

    श्रीकालाहस्ती एक छोटा सा गाँव है, जहाँ स्वर्णमुखी नदी बहती है। तिरुपति से श्रीकालाहस्ती तकरीबन ४५ कि.मी. है और करीब एक घंटा लगता है। यहाँ पर भी भगवान के नाम की लूट मची हुई है।

    श्रीकालाहस्ती में आते ही  वहाँ का नजारा मन मोहने वाला था, मंदिर के पार्श्व में पहाड़ी थी, और मंदिर का गुंबद दक्षिण भारतीय स्टाईल का सफ़ेद रंग में चमक रहा था, जो तालमेल था वह गजब ही था।

    जैसे ही हम मंदिर के बाहर पहुँचे तो देखा कि वहाँ इतना बड़ा मंदिर होने के बाबजूद कोई आधिकारिक जूता चप्पल स्टैंड नहीं था, बस अपनी चरणपादुकाएँ भगवान भरोसे छोड़ कर चल दिये।

    मंदिर का प्रवेशद्वार बहुत भव्य है और अंदर जाते ही देखते हैं, कि भारी भीड़ लगी हुई है क्योंकि वह राहु-केतु काल था शाम ४ से ६.३० बजे तक का काल। और वहाँ लिखा हुआ था, राहु-केतु पूजा २५० रुपयों में। स्पेशल पूजा १५०० रुपयों में। सब जगह रुपयों का इतना महत्व देखकर यह तो समझ में आ गया कि यहाँ मंदिर के नाम पर जनता को खूब लूटा जा रहा है।

    हमने निश्चय किया कि हम कोई टिकट नहीं खरीदेंगे और फ़्री दर्शन करेंगे क्योंकि दर्शन के लिये ज्यादा भीड़ नहीं लग रही थी। हम चल दिये फ़्री दर्शन के लिये। मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही थी, हम जैसे ही दर्शन के  लिये शुरु हुए सबसे पहले गणपति जी के दर्शन हुए, बहुत ही सुन्दर मूर्ती थी, इतनी सुन्दर मूर्ती हमने आज तक देखी नहीं थी, फ़िर तो जितनी भी मूर्तियों को देखा सब एक से बढ़कर एक थीं, जब हम शिवजी के मंदिर की ओर बड़ते चल रहे थे, तभी एक शिवजी का का सस्त्रशिवलिंग रुप दिखाई दिया, काफ़ी अद्भुत था यह शिवलिंग हमने पहली बार ऐसा शिवलिंग देखा था, और बहुत ही मनमोहक था। हम तो धन्य हो गये शिव के इस रुप के दर्शन करके। हम पहुँच चुके थे, श्रीकालाहस्ती के गर्भगृह के द्वार पर, हमें बाहर से ही दर्शन करने पड़े क्योंकि अंदर केवल १५०० रुपये वाले ही दर्शन कर सकते थे। वाह री माया तेरे खेल निराले, हमने बाहर से ही दर्शन किये पर बाबा के यहाँ माया का खेल देखकर मन खिन्न हो उठा। श्रीकालाहस्ती एक वायुलिंग है और शायद ही हमने ऐसा शिवलिंग कहीं देखा होगा, हम तो धन्य हो गये उनके दर्शन करके। जय श्रीकालाहस्ती।

    फ़िर जब हम बाहर की ओर आ रहे थे, तो देवी देवताओं की एक से एक बेजोड़ मूर्तियों के दर्शन हो रहे थे । एक मूर्ति बाबा कालभैरव की थी, बहुत ही प्राचीन और अतिसुन्दर पहले बार हमने बाबा कालभैरव की ऐसी मूर्ती देखी थी मन प्रसन्न हो गया।

    जब हम मंदिर के बाहर आने लगे तो देखा कि वहाँ दीपदान हो रहा है, बहुत सारे लोग एक साथ दीपदान कर रहे हैं, एक स्टैंड बना हुआ था, जहाँ पर लोग दीपदान कर रहे थे। बहुत ही सुन्दर और अनुपम दृश्य था।

    जब हम मंदिर से बाहर निकल रहे थे, तो देखते जा रहे थे कि ऊपर पहाड़ी से पटाखों की आवाज आ रही थी और किसी की सवारी आ रही थी, जब तक हम बाहर पहुँचे तब तक सवारी हमारे सामने आ चुकी थी, नंदी महाराज आगे थे बहुत ही सुन्दर उनकी सज्जा की गई थी, और श्रीकालाहस्ती उनके पीछे पालकी पर थे, हम तो बाबा के दर्शन करकर धन्य हो गये। इंसानों ने मंदिर में दर्शन नहीं करने दिये तो बाबा ने बाहर आकर खुद ही दर्शन दे दिये। फ़ोटो हम खीच नहीं पाये क्योंकि मोबाईल मंदिर में निषेध है इसलिये मोबाईल हम टैक्सी में छोड़ आये थे। पर मन मोह लिया इस दृश्य ने।

    दर्शन कर चल दिये हम वापिस अपनी टैक्सी की ओर वापिस चैन्नई जाने के लिये, चैन्नई अब हमारे लिये तकरीबन १४० कि.मी. था ये दूरी हमने तय की तकरीबन तीन घंटे में, शाम छ: बजे निकले और नौ बजे गंतव्य पहुँच गये।

    कुछ फ़ोटो श्रीकालहस्ती के देखिये जो हमने जाते समय निकाले –

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सूर्यास्त                                            मंदिर और उसके पार्श्व में पहाड़ी

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मंदिर और उसके पार्श्व में पहाड़ी                          सूर्यास्त

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तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ९ [आन्ध्रा भोजन, माँ पद्मावती के दर्शन, लड्डू ..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 9)[Andhra Food, Maa Padmavati Darshan and laddu…]

जैसे ही तिरुपति पहुंचे एक सुन्दर सी मूर्ति ने हमारा स्वागत किया।

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    फ़िर हमने अपने ड्राईवर अब्दुल को कहा कि चलो अब कुछ अच्छा सा खाना खिलवा दो, तो वो एक विशुद्ध आन्ध्रा स्टाईल थाली वाले होटल में लेकर गया। जहाँ पर केले के पत्ते पर खाना परोसा गया। जिसमें चावल मुख्य भोजन और साथ में सांभर, दाल, दो तरह की सब्जी और एक चटनी थीं, साथ में पापड़ था। हम भी बिल्कुल ठॆठ देसी श्टाईल में शुरु हो गये मतलब हाथ से, वाह क्या स्वाद था। वैसे हमारा मानना है कि जहाँ जाओ वहाँ का खाना खाओ तो ज्यादा अच्छा मिलेगा बनिस्बत कि हर जगह नार्थ का खाना ढ़ूंढ़ते रहो, और अगर मिले भी तो टेस्ट ऐसा कि बाद में सोचो कि इससे अच्छा तो चावल ही खा लेते।

    फ़िर वहाँ से चल दिये पद्मावती मंदिर, जो कि लक्ष्मी माता का मंदिर है, मान्यता है कि बालाजी के दर्शन करने के बाद माँ लक्ष्मी के दर्शन पद्मावती मंदिर में करने चाहिये।  यह मंदिर तिरुपति में थोड़ा बाहर की ओर बना है, लगभग ६ किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर लूट मची हुई थी, पार्किंग जो कि सड़क के किनारे ही बनी हुई थी, उसके भी ३० रुपये वसूल लिये गये। खैर यह तो आजकल लगभग सभी धार्मिक स्थलों पर होता है।

    फ़िर देखा कि यहाँ भी स्पेशल दर्शन वाली व्यवस्था है, टिकट १० के स्पॆशल दर्शन, ४० में शीघ्र दर्शनम, २०० रुपये में २ व्यक्ति तत्काल दर्शन। मंदिर के काऊँटर पर ही एक व्यक्ति मिल गया जो हमसे बोला कि मैं आपको २०० वाले दर्शन करवा देता हूँ, अगर आप काऊँटर से टिकट लोगे तो ४०० रुपये लगेंगे, पर मुझे आप ३०० ही देना। मैंने उससे पूछा कि हमें टिकट तो मिलेगा न, और टिकट के पैसे कौन रखेगा, तो वो ठग महाधूर्त हँसकर बोला कि टिकट के पैसे तो मेरी जेब में ही जायेंगे और आपके सौ रुपये भी बचेंगे। यह सब बातें मंदिर के सुरक्षाकर्मियों के सामने हो रही थीं, उन्हें भी सब पता है, शायद इसमें उनका भी हिस्सा रहता होगा। मन भर आया भगवान के यहाँ इतना भ्रष्टाचार देखकर, कि इंसान जिससे अपनी रोजी रोटी चला रहा है, उसको भी धोखा खाने से बाज नहीं आ रहा है।

    हमने ४० वाले टिकट लिये और दर्शन के लिये चल दिये, उसमें भी फ़टाफ़ट दर्शन हो गये और माँ पद्मावती के दिव्य दर्शन मिले। वहाँ पर भी पुजारी का ध्यान प्रसाद और फ़ूलमालाओं में नहीं भक्तों से नोट बटोरने में था, अगर भक्त नोट दानपेटी में डालने जा रहा होता तो पुजारी हाथ लगाकर उसे अपनी मुठ्ठी में कर लेते, कितना बड़ा धोखा कर रहे हैं ये लोग हमारे साथ भी, और उनके नाम पर भी जिनके नाम की ये माला जप करते हैं, जिन देवी की आराधना करते हैं।

    फ़िर हमने अपने २ लड्डू प्राप्त किये और चल दिये वापिस अपनी टैक्सी की और। मन खिन्न हो आया इतना पाखंड और इतना भ्रष्टाचार देखकर।

    अब हम चल दिये श्रीकालाहस्ती की ओर, जो कि राहु-केतु की विशेष पूजा और कालसर्पयोग पूजा के लिये प्रसिद्ध है।

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तुम हो तो सब कुछ है जीवन में,

तुम हो तो सब सुख है प्रिये,

तुम हो तो मैं हूँ प्रिये,

तुम हो तो हर क्षण हर्ष का है प्रिये,

तुम मेरी कविता तुम मेरी आराधना,

तुम ही मेरी प्रियतमा,

तुम ही मेरी जीवनसंगिनी प्रिये,

तुम हो मेरे जीवन का आधार प्रिये,

अर्पण प्यार तुम्हें है प्रिये..