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राजेश उत्साही जी से एक मुलाकात
बैंगलोर में ४ ब्लॉगरों और एक पाठक का मिलन (4 Blogger’s and 1 Blog Reader Meet at Bangalore)
आज की ताजा खबर बैंगलोर में ४ ब्लॉगर्स और एक पाठक का मिलन हुआ ।
४ ब्लॉगर थे –
देव कुमार झा
मनीषा जी
विवेक रस्तोगी
हर्ष रस्तोगी
१ पाठक – हमारी धर्मपत्नी वाणी
बहुत सारे ज्वलंत मुद्दों पर बातें हुईं, और सौहार्दपूर्ण तरीके से बैंगलोर में ब्लॉगर मिलन संपन्न हुआ।
ज्वलंत मुद्दों में शामिल थे –
भाजपा द्वारा कर्नाटक बंद और आम जनता की तकलीफ़
भ्रष्टाचार
मुंबई
उड़नतश्तरी समीर लाल जी की कृति – “देख लूँ तो चलूँ”
दक्षिण भारत में हिन्दी
ए.टी.एम. से पैसे निकालने में हुई गड़बड़ी
ब्लॉग वार्ता
जिन ब्लॉगर्स का जिक्र हुआ इस छोटे से मिलन में वे हैं –
उड़नतश्तरी समीर लाल जी, घुघुती बासुती जी, प्रवीण पाण्डे जी, प्रशांत प्रियदर्शी जी PD, अभिषेक कुमार।
फ़ोटो कल देवकुमार झा जी द्वारा प्रकाशित किया जायेगा तब इस पोस्ट में भी लगा देंगे 🙂
आखिर हिन्दी ब्लॉगर वोट देने में इतने कंजूस क्यों हैं ?
मैंने इंडिब्लॉगर में अपनी दो पोस्टें लगायी हैं, और सभी पाठकों और ब्लॉगरों से निवेदन किया था कि कृप्या पोस्ट पर वोटिंग करें, पर हमारे हिन्दी ब्लॉगर बहुत ही कंजूस हैं।
अगर पोस्ट पसंद नहीं आई तो कम से कम टिप्पणी करके ये तो बता दीजिये कि भई आपकी पोस्ट अच्छी नहीं है, जरा अच्छा लिखिये, और यह प्रतियोगिता के काबिल नहीं है, आपने क्यों प्रतियोगिता में भाग लिया, इसलिये हमने वोटिंग नहीं की।
हिन्दी ब्लॉग जगत से निवेदन है कि देखिये हमारी दो प्रविष्टियाँ हमने इंडिब्लॉगर “टाटा डोकोमो ३जी लाईफ़ प्रतियोगिता” में दी हैं, अगर आपको पसंद आती हैं तो इनको प्रमोट कीजिये, इस प्रतियोगिता में कुल ९५ प्रविष्टियाँ हैं, और हिन्दी ब्लॉग जगत से केवल ३ प्रविष्टियाँ हैं, जिसमें से दो मेरी हैं।
यहाँ पर जिसको ज्यादा वोट होंगे उसके जीतने के ज्यादा अवसर होंगे। हिन्दी को आगे बढ़ाईये और हमारी दोनों प्रविष्टियों पर पसंद के चटके लगाईये। हर इंडिब्लॉगर सदस्य हर प्रविष्टी को दो वोट दे सकता है, मतलब कि दो बार प्रमोट कर सकता है।
निम्न दो प्रविष्टियों हमने सम्मिलित की हैं, इन पर चटका लगाकर प्रविष्टी पढ़कर दो दो चटके लगाईये।
प्यार में बहुत उपयोगी है ३ जी तकनीक (Use of 3G Technology in Love..)
पति की मुसीबत ३ जी तकनीक से (Problems of Husband by 3 G Technology)
शायद हमारी बात झूठी हो जाये कि हिन्दी ब्लॉगर वोट देने में कंजूस हैं !
एक मुलाकात अलबेला खत्री जी के साथ मुंबई में
यह चेहरा आपने बुद्धु बक्से पर कई बार देखा होगा अरे मेरा नहीं जो मेरे साथ हैं, ये हैं अलबेला खत्री जी, प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि और हास्य इंटरटेन्मेन्ट व्यक्तित्व।
प्लेट की तरफ़ मत देखिये उसका माल तो हम हजम कर चुके हैं। 🙂
अलबेला जी से बहुत सारी बातें हुईं, भाषा के उपयोग पर भी बहुत सी चर्चा हुई, अगर आज के साहित्यकार आज से ६० वर्ष पहले उपयोग होने वाली हिन्दी लिखेंगे तो शायद ही आज की पीढ़ी पढ़ना पसंद करेगी और अगर करेंगे भी तो कुछ चुनिंदा लोग।
भाषा वह होनी चाहिये जो कि सबको आसानी से समझ में आ जाये । भाषा ज्यादा क्लिष्ट होने पर पाठक या श्रोता कम या गायब हो जाते हैं।
वहीं पर हमारी मुलाकात हुई शंभू शिखर जी से भी वे भी हिन्दी ब्लॉगर हैं और लॉफ़्टर ३ में आ चुके हैं।
जितनी देर हम अलबेला जी के साथ रहे मुंबई में बारिश पुरजोर बरस रही थी, बाहर मुंबईवासी बारिश से तरबतर हो रहे थे और हम ब्लॉगरस में। साथ ही फ़ोन पर हमारी बात हुई पाबला जी से, और वे भी हमारी मुलाकात का हिस्सा बने।
१४११ बाघ बचाने की मुहीम – @ सभी ब्लॉगर्स, नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग सभी को संबोधित (1411 Save Tigers Mission A message to all…)
@ सभी ब्लॉगर्स (जिन्होंने टिप्पणी दी है और नहीं भी दी है, जिन्होंने पिछले पोस्ट के शेर के फ़ोटो देखे हैं या नहीं देखे हैं ) , नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग – ये तो सब मीडिया का पब्लिसिटी स्टंट है। कुछ नहीं होने वाला है, जो मार रहा है उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है और जो मर रहा है वो तो मर ही रहा है। हम और आप केवल शीर्षक में १४११ जोड़कर उनका मजाक ही उड़ा रहे हैं, और मीडिया पब्लिसिटी के बहकावे में आ जाते हैं। क्या है हमारी जिम्मेदारी, जिनकी जिम्मेदारी है वो लोग बाघ को बचाने के लिये कितनी जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं मतलब सरकार और उसके मुलाजिम।
हम और आप लोग कैसे इस १४११ पर लेख, आलेख, निबंध लिखकर बाघों को बचा लेंगे, क्या बाघ इन आलेखों को पढ़ने आयेगा, नहीं भई बाघ नहीं आने वाला है, ये तो सरेआम केवल एक शोशेबाजी हो रही है, कि किसी भी चीज को कैसे हाईप दिया जाता है, जबरदस्त तरीके से कैम्पेनिंग कैसे किया जाता है ये तो इन मीडिया और राजनीतिक पार्टियों से पूछें।
बेचारे स्कूल वाले तो १४११ बाघ को बचाओ के नाम पर बच्चों से क्या क्या नहीं करवायेंगे। परंतु वो बच्चे और वे स्कूल वालों का क्या कोई संबंध है, इन बाघों को बचाने में, नहीं, बिल्कुल भी नहीं।
जब कोई भी चीज खत्म होने की अग्रसर होती है तब किसी को कोई चिंता नहीं होती है, सब बहुत ही लापरवाही से लेते हैं, और जब खत्म होने को आ जाती है जैसे कि ताजा उदाहरण १४११ बाघ बचे हैं, तब सब लोग चिल्लाते हैं, जैसे जनता जिम्मेदार है इस सबके लिये, अरे हर पाँच साल में जो हमारे दरवाजे पर वोट की भीख माँगने आता है, उसको हम क्यों भीख देने के लिये उदार हो जाते हैं, जब वो सरकार में रहकर अच्छे से काम ही नहीं कर रहा है। ये लोग कभी खत्म नहीं होंगे ये तो अमरबेल जैसे बड़ते ही चले जायेगे इन लोगों की संख्या हरपल १४११ बड़ती रहेगी। पर इन बाघों का क्या..
देखिये बुद्धूबक्से पर नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग १४११ बाघ को बचाने के लिये टीशर्ट पहने कर डॉयलाग मार रहे हैं, कि मैं कितना महान प्रयास कर रहा हूँ, आप भी इस महान प्रयास में मेरा साथ दें, अरे इन लोगों ने कभी ये भी जानने की कोशिश की है कि ये १४११ बाघ रहते कहाँ हैं, और क्यों इनकी संख्या १४११ रह गई है।
क्या हम इन १४११ बाघों के ऊपर लिखने से, बोलने से इन १४११ बाघों को बचाने में सफ़ल होंगे और इनकी संख्या बड़ा पायेंगे क्या गारंटी है कि हम इन १४११ बाघों को भी बचा पायेंगे, थोड़े सालों बाद फ़िर मीडिया केवल राग अलापेगा कि बाघ प्रजाति लुप्त हो गई और इन १४११ बाघों की कहानी बन जायेगी। कि आमजन ने क्या क्या नहीं किया था इन १४११ बाघों के लिये…
सोचिये और बताईये क्या हम १४११ बाघों के लिये क्या वाकई कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो इनकी रक्षा करे…?
चैन्नई में तीन हिन्दी ब्लॉगरों की मुलाकात.. साधक उम्मेद सिंह जी और पीडी से हुई बातों का ब्योरा..
शनिवार ३० जनवरी को शाम को हमने उम्मेद सिंह जी से बात की और अगले दिन सुबह ८.३० बजे हमारे होटल में मिलना तय हुआ, फ़िर पीडी से बात हुई तो पीडी बोले हम तो कभी भी आ सकते हैं, आप चिंता न करें।
सुबह हम लगभग ७ बजे उठे और रोज के उपक्रम से निवृत्त होकर चुके ही थे कि अचानक हमारा मोबाईल फ़ोन घनघनाया, फ़ोन किसी मोबाईल से था तो हमें लग गया जरुर साधक उम्मेद सिंह जी का फ़ोन है, बात हुई तो उधर से साधक उम्मेद सिंह जी की ही आवाज थी। उन्होंने कहा कि हम आपके साथ ज्यादा समय बिताना चाहते हैं जरा जल्दी आ जायें क्या, हमने कहा अरे आपका स्वागत है, बिल्कुल आ जाईये, तो साधक जी बोले फ़िर खोलिये आपके कमरे का दरवाजा हम सामने ही खड़े हैं।
हमने कमरे का दरवाजा खोला तो साधक जी जैसे ही रुबरु हुए, वे बोले “अरे आप तो बहुत सुंदर हैं।”
फ़िर बहुत सारी बातें हुईं गीता, उपनिषद, धार्मिक, साहित्यिक, ब्लॉग जगत और जीवन सभी बातों पर साधकजी की गजब की पकड़ है।
फ़िर अविनाश वाचस्पति जी को फ़ोन लगाया उस समय शायद वो उठे ही थे या हमने उठा दिया था, उनसे भी हमारी और साधकजी की बहुत बातें हुईं।
साधकजी की ब्लॉग के तकनीकी पक्ष की बहुत सारी जिज्ञासाएँ थीं जिसे हमने शांत करने का प्रयास किया और उन्हें बताया कि हम कैसे विन्डोज लाईव राईटर उपयोग करते हैं, और इसमें क्या क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं, लिंक कैसे बनाते हैं, फ़ोटो कैसे लगाते हैं इत्यादि।
तब फ़िर हमने वापस प्रशान्त उर्फ़ पीडी को फ़ोन लगाया तो वे बस उठे ही थे, हमने उन्हें अपना होटल का पता बताया तो पीडी बोले कि हम बस आधे पौने घंटे में पहुँचते हैं, वो बराबर पौने घंटे में आ पहुँचे फ़िर एक बार साधकजी और पीडी के साथ चर्चाओं का दौर शुरु हो गया। तब तक नाश्ते का समय हो चुका था और बहुत जोर से पेट में चूहे कूद रहे थे, तो जाने के पहले हमने बोला कि एक फ़ोटो खींचकर नुक्कड़ पर लगा देते हैं, और साधकजी ने अपनी छ: लाईने लिख दीं।
कुछ फ़ोटो हमारे लेपटॉप से –
फ़िर चल दिये पास ही स्थित सरवाना भवन वहाँ जाकर पहले रसगुल्ला और फ़िर इडली छोटी वाली जो कि प्लेट में १४ आती हैं और फ़िर कॉफ़ी, पर पीडी चाय कॉफ़ी नहीं पीते हैं।
नाश्ता निपटाकर वापिस आये और थोड़ी देर बाहर की हवा में खड़े होकर आनंदित होकर बातें कर रहे थे। साधक जी को शाम को ही जयपुर निकलना था, तो वे हमसे विदा लेकर चल दिये फ़िर मिलने का वादा करके और फ़ोन पर बराबर संपर्क में रहने के बादे के साथ।
मैं और पीडी वापिस कमरे में आये और फ़िर ब्लॉग जगत के बारे में बातें हो ही रही थीं और साथ में पीडी के मिनी लेपटॉप पर उनके फ़ोटो देख रहे थे, कि पाबला जी का फ़ोन आ गया और फ़िर पाबला जी से भी बातें हुईं, जो कि उन्होंने नुक्कड़ की पोस्ट देखकर ही लगाया था।
बहुत सारी अपनी जिंदगी की बातें हुईं, फ़िर पीडी भी दोपहर को विदा लेकर चल दिये कि फ़िर जल्दी ही मुलाकात होगी।
मुंबई हिन्दी ब्लॉगर मीट त्रिमूर्ती जैन मंदिर, संजय गांधी नेशनल पार्क, बोरीवली में सायं ३.३० बजे रविवार ६ दिसंबर को आयोजित की गई है
मुंबई ब्लॉगर मीट के लिये मेरी बहुत से ब्लॉगरों से बात हुई पर ऐसा लगा ही नहीं कि मैं उनसे पहली बार बात कर रहा हूँ ऐसा लगा कि हम लोग जाने कब से एक दूसरे को जानते हैं और बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।
कुछ ब्लॉगर्स को मैंने फ़ोन लगाये कुछ ने मुझे फ़ोन किये कुछ ब्लॉगर्स से चेटिंग हुई। सबको अपने बेहद करीब पाया।
मुंबई ब्लॉगर्स मीट त्रिमूर्ती जैन मंदिर, संजय गांधी नेशनल पार्क बोरीवली में सायं ३.३० बजे रविवार ६ दिसंबर को आयोजित की गई है, जो कि वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर बोरिवली ईस्ट में है। आप यहाँ सीधे लोकल रेल्वे स्टेशन से २९९ नंबर बस से टाटा स्टील से भी सीधे आ सकते हैं नहीं तो मुख्य द्वार जो कि वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर है वहाँ से सीधे आ सकते हैं, प्रति व्यक्ति नेशनल पार्क का टिकिट २० रुपये है।
लगभग १४ ब्लॉगर्स की मंजूरी मिल चुकी है। अविनाश जी दिल्ली वाले मुंबई पहुंच चुके हैं और उनका भी ब्लॉगर्स से मिलने का बहुत व्यस्त कार्यक्रम है।
इस मीट का उद्देश्य एक दूसरे को जानना और वास्तविक दुनिया में मिलना है, हम सब एक दूसरे को आभासी दुनिया में बहुत अच्छी तरह से परिचित हैं, जब वास्तविकता में मिलेंगे तो बात ही कुछ ओर होगी। इस मीट में सभी ब्लॉगर्स के मानस मंथन से जो भी मुद्दे निकलेंगे वही अगली ब्लॉगर्स मीट का उद्देश्य होगा। यह मीट केवल एक गेट टुगेदर है जिसमें सब एक दूसरे को जान पायेंगे।
इस मीट के लिये ताऊ जी और समीर लाल जी ने विशेष सहयोग दिया है, और मुंबई टाईगर महावीर जी सेमलानी जी का भी विशेष सहयोग है। अविनाश वाचस्पति जी जो कि हमारे दिल्ली से आये हुए मुख्य अतिथि हैं, उनका भी भरपूर सहयोग है, कृप्या अपने आने की स्वीकृती दें जिससे व्यवस्था में सहयोग मिलेगा।
मुंबई ब्लॉगर्स मीट रविवार ६ दिसंबर को आयोजित की जा रही है…
मुंबई ब्लॉगर्स मीट रविवार शाम के समय संजय गांधी पार्क में आयोजित की जा रही है, समय रहेगा शाम ४ बजे का।
अजय कुमार जी, सतीश पंचम जी, रश्मि रविजा जी, आभा जी, महावीर सेमलानी जी से बात हो चुकी है और उनकी सहमति भी मिल चुकी है।
जो ब्लॉगर बंधु मीट में आना चाहते हैं वे कृप्या मुझे ईमेल पर अपना मोबाईल नंबर उपलब्ध करवायें।
मेरा ईमेल पता है [email protected]
एक मुलाकात ताऊ और सुरेश चिपलूनकर से
अभी हम दीवाली की छुट्टियों पर अपने घर उज्जैन गये थे, जिसमें हमारा इंदौर जाने का एक दिन के लिये पहले से प्लान था । इंदौर में हमारे बड़े चाचाजी सपरिवार रहते हैं, तो बस घर की साफ़ सफ़ाई के बाद वह दिन भी आ गया। एक दिन पहले शाम को टेक्सी के लिये फ़ोन कर दिया क्योंकि इंदौर मात्र ५५ कि.मी. है। और चाचीजी से फ़रमाईश भी कर दी कि स्पेशल हमारे लिये दाल बाफ़ले बनाये जायें, ताऊ से पहले ही बात कर ली थी कि हम इंदौर आने वाले हैं तो उन्होंने एकदम कहा कि मिलने जरुर आईयेगा, बहुत ही आत्मीय निमंत्रण था।
कुछ फ़ोटो इंदौर पहुंचने के पहले के –
उज्जैन से इंदौर का फ़ोरलेन का कार्य प्रगति पर है।
सांवेर में नरम और मीठे दाने के भुट्टे और बीच में ऊँटों का कारवां।
हम इंदौर पहुंच गये सुबह ही घर पर परिवार के साथ समय कैसे जाता है पता ही नहीं चला फ़िर हमने ताऊ से बात की तो वे बोले कि कभी भी आ जाइये कोई समस्या नहीं है, हमने ये सोचा था कि वे अपने कार्य में व्यस्त होंगे तो हमें टाइम दे पायेंगे या नहीं।
हम पहुंच गये ताऊ के यहाँ उन्होंने बहुत ही सरल तरीके से हमें अपना घर का पता बता दिया था तो हम बिना पूछताछ के ही सीधे उनके घर पहुंच गये। साथ में थीं हमारी धर्मपत्नीजी भी। ताऊ बोले कि ताई अभी दीवाली की खरीदी करने बाजार गई हैं नहीं तो आपको उनसे भी मिलवाते।
ताऊ ने घर पर ही अपना ओफ़िस बना रखा है, बिल्कुल जैसा सोचा था ताऊ वैसा ही निकला। फ़िर आपस में पहले परिचय हुआ (वो तो पहले से ही था) पर ठीक तरीके से, अपने अपने इतिहास को बताया कि पहले क्या करते थे अब क्या करते हैं।
ब्लोगजगत के बारे में बहुत सी चर्चा हुईं, हाँ उनकी बातों से ये जरुर लगा कि वे ब्लोग के लिये बहुत ही गंभीर रहते हैं और अपनी वरिष्ठता होने के साथ वे बहुत गंभीर भी हैं, अधिकतर ब्लोगर्स के सम्पर्क में रहते हैं और वे अपना सेलिब्रिटी स्टॆटस समझते हैं।
उन दिनों हमने ७ दिन का पोस्ट न लिखने का विरोध करा था, उस पर भी काफ़ी बात हुई वे भी बहुत दुखी थे, बहुत सारे ब्लोगर्स के बारे में बात हुई पर खुशी की बात यह है कि ताऊ केवल हिन्दी ब्लोग की तरक्की चाहते हैं और इसके लिये उनके कुछ सपने भी हैं, जो आने वाले दिनों में साकर करेंगे, सफ़लता के लिये हम कामना करते हैं। ताऊ से अल्प समय के इस मिलन में हमने ताऊ से बहुत सारे गुर सीखे।
इंदौर के ब्लोगर्स के बारे में बात हुई तो ताऊ बोले कि केवल दिलीप कवठेकर जी ही हैं और तो किसी को जानता नहीं। फ़िर दो दिन पहले ही कीर्तिश भट्ट जी से बात हुई “बामुलाहिजा” वाले, वे बोले कि अगर हमें पहले से पता होता तो वे भी मिल लेते क्योंकि वे भी इंदौर में ही रहते हैं।
बस फ़ोटो खींचने का बिल्कुल याद ही नहीं रहा। कुछ दिन पहले अविनाश वाचस्पति जी से बात हुई थी तब उन्होंने याद दिलाया था कि किसी भी ब्लोगर से मिलें एक फ़ोटो जरुर खींच लें भले ही अपने मोबाईल से हो।
ये गलती हमने सुरेश चिपलूनकरजी से मिलने गये तो नहीं दोहराई।
हम सुरेशजी से मिलने पहुंचे तो हमने गॉगल लगा रखा था तो वे हमें पहचान ही नहीं पाये पर गॉगल उतारने पर एकदम पहिचान लिये। गले मिलकर दीवाली की हार्दिक शुभाकामनाएँ दी फ़िर बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ।
सुरेश चिपलूनकर जी और मैं विवेक रस्तोगी उनकी कर्मस्थली पर
बात शुरु हुई तो पता चला हमारे बहुत से कॉमन दोस्त और पारिवारिक मित्र हैं । फ़िर बात लेखन के ऊपर हुई तो यही कि प्रिंट मीडिया को तो छापने के लिये कुछ चाहिये और वे चोरी से भी परहेज नहीं करते, और अगर लेखक को कुछ दे भी दिया तो ये समझते हैं कि वे कंगाल हो जायेंगे। हमने बताया कि हम भी पहले ऐसे ही लिखते थे परंतु हालात अच्छॆ न देखकर लिखना ही बंद कर दिया।
फ़िर बात शुरु हुई हमारे ७ दिन के पोस्ट न लिखने के ऊपर तो उनके विचार थे कि ये लोग कभी सुधर ही नहीं सकते इन सबसे अपना मन मत दुखाईये पर हम भी क्या करें हैं तो हम भी हाड़ मास के पुतले ही ना, कोई तो बात दिल को लगेगी ही ना।
सुरेश जी से भी बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा हुई, तो उन्होंने कहा कि ब्लोग को एक विचारधारा पर रखकर ही आगे बड़ा जा सकता है, उनकी ये बात सौ फ़ीसदी सत्य है।
ब्लोग की व्यवहारिक कठिनाईयों के बारे में भी बात हुई वे बोले कि कुछ ब्लोगर्स मित्र हैं जो कि तकनीकी मदद करते हैं, क्योंकि हम तकनीकी रुप से उतने सक्षम नहीं हैं।
एग्रीगेटर के बारे में भी बात हुई कि कोई भी फ़्री की चीज पचा नहीं पा रहा है और हमले किये जा रहे हैं।
हमने उन्हें बताया कि हमें उनकी लेखन की कट्टरवादी शैली बहुत पसंद है जो कि राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व की अलख हर दिल में जलाती है।
बहुत सारी बातें की फ़िर हमने उनसे विदा ली, बताईये कैसी लगी मुलाकात ताऊ और सुरेश चिपलूनकर से।