Monthly Archives: May 2010

आयकर बचाने के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड्स में २०,००० रुपये का निवेश करना चाहिये क्या ?

    २०१० के बजट में आयकर में जो राहत दी गई हैं, उनमें से एक है इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड्स में २०,००० रुपये तक के निवेश की अनुमति दी गई है।

    इस राहत के बाद लगभग सभी लेखों में और वित्त मंत्री जी ने भी यही कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। लेकिन एक ही बात हरेक आदमी के लिये कैसे सकारात्मक हो सकती है ? अगर नकारात्मक भी नहीं है तो भी कम से कम कई लोगों को तो कोई फ़र्क ही नहीं पड़ने वाला है।

    हम यहाँ पर कर बचाने के लिये इन बांडों में निवेश करना कितना सही है यह देखेंगे और यह विश्लेषण २०१० की नई कर नीति के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है –

१. आय १.६ लाख रुपये से ५ लाख रुपये तक
२. आय ५ लाख रुपये से ८ लाख रुपये तक
३. आय ८ लाख रुपये या उससे ज्यादा

    किसी भी करबचत उत्पाद को समझने के लिये हमें चार प्रमुख मानकों को समझना चाहिये –

वास्तविक कर बचत (सबसे ज्यादा बचत मान लीजिये जितनी संभव हो)
निवेश से मुनाफ़ा वापसी (कम से कम जितने समय निवेश बंधक रहने वाला है)
अवसरित कीमत (अगर यही रकम किसी और उत्पाद में निवेश की जाये तो कितना मुनाफ़ा वापसी होगा)
उत्पाद पर होने वाले मुनाफ़ा वापसी पर मुद्रास्फ़ीति का प्रभाव
(आपके निवेश की क्या कीमत होगी जब आप इस उत्पाद को भुनायेंगे ?)

धारणाएँ –

    हम दो मानदंड मान लेते हैं, हमें अपनी ही कुछ धारणा बनानी पड़ेगी बंधक समय (Lock-In Period) के लिये, क्योंकि अभी तक वित्त मंत्री ने अभी तक इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है। आमतौर पर अगर हम दूसरे कर बचत वित्तीय उत्पादों को देखें तो हम दो परिदृश्य ले सकते हैं तीन वर्षीय और पांच वर्षीय।

    मान लेते हैं कि इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड की वापसी दर होगी लगभग ५.५ % प्रतिवर्ष।

और साथ ही मुद्रास्फ़ीति की समग्र दर हम ८% मान लेते हैं।

१.६ – ५ लाख रुपये के कर समूह में आने वाले लोगों को १०% आयकर देना होगा।

१. वास्तविक कर बचत – २०,००० रुपये का १०% याने कि २,००० रुपये (अगर आप २०,००० रुपये का निवेश इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड में करते हैं, तो आपकी करयोग्य आय २०.००० रुपये से कम हो जायेगी और आपको आयकर में १०% का फ़ायदा होगा)।

२. आपको कितनी रकम वापिस मिलेगी अपने बंधक समय (Lock-in Period) के बाद ? अगर ३ वर्ष का बंधक समय है तो २०,००० रुपये के निवेश से जो आय होगी वह होगी लगभग ३४८५ रुपये। जब आप इसे अपनी निवेश की गई रकम में जोड़ेगे तो आपको निवेश की जो वापसी होगी वह है २५,४८५ रुपयों की (२०,००० रुपये + ३,४८५ रुपये + २,००० रुपये)।

३. अगर इसी राशि को बाजार में किसी और उत्पाद में निवेश करते तो वह आपको लगभग १५-१८% की वापसी देता। सेंसेक्स और म्यूचुअल फ़्ंड में लंबी अवधि के निवेश के बाद यह दर बहुत कम है पर हम गणना में १५% लेते हैं। इस निवेश से आपको २७,३७६ रुपये मिलेंगे जो कि इस प्रकार है – २०,००० रुपये – २,००० रुपये = १८,००० रुपये @१५% की दर से ३ वर्ष के लिये निवेश की गणना की गई है।

४. ८% मुद्रास्फ़ीति का मुकाबला करने के लिये कम से कम आपकी राशि ३ वर्ष के बाद कितनी होनी चाहिये ? राशि होना चाहिये लगभग २५,१९४ रुपये।

    इस प्रकार हम देखते हैं कि १.६ से ५ लाख रुपये वाले कर समूह में आने वाले व्यक्तियों के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड जो कि एक कर बचत उत्पाद है, से केवल २९१ रुपये का ही फ़ायदा होता है (२५,४८५ रुपये – २५,१९४ रुपये)। जबकि आयकर देने के बाद बची हुई राशि को किसी बाजार के किसी अच्छे उत्पाद में लगाने से १८९१ रुपये का फ़ायदा है।

    पर अगर आप के आयकर में २,००० रुपये से ज्यादा का फ़ायदा हो रहा है, और वो तब होगा जब आप ५ लाख से ऊपर वाले कर समूह में आते हैं, उन लोगों को इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड में ही निवेश करना चाहिये, ना कि दूसरे वित्तीय उत्पादों में।

    यह सलाह केवल उन्हीं लोगों के लिये है जो कि १.६ से ५ लाख के कर समूह में आते हैं।

ये आई.ए.एस. में लोग सेवा करने जाते हैं या कमाने जाते हैं ? यह एक यक्ष प्रश्न है कि इन आई.ए.एस. की इज्जत करें या न करें, और अगर आज के युवा की सोच ही ऐसी होगी परिवार की होगी तो इस राष्ट्र का भविष्य क्या होगा।

    दो साल पहले की बात है, हम करोल बाग में एक रेस्त्रां में खाना खा रहे थे, और हमारे पीछे वाली टेबिल पर कुछ छ: लड़के बैठे हुए थे, जो कि मूलत: झारखंड और बिहार के लग रहे थे।

    हमने खाना ऑर्डर किया और अपनी बातें करने लगें परंतु ये लड़के अपनी बातें इतनी तेज आवाज में बात कर रहे थे कि हम अपनी बात कर ही नहीं पा रहे थे और वे जिस तरह की बातें कर रहे थे वैसी हमने पहले कभी सुनी भी नहीं थीं, इसलिये चुपचाप हमने उनकी ही बातें सुनने का फ़ैसला ले लिया।

    वे बात कर रहे थे सिस्टम की, जी हाँ प्रशासन की, क्या हम यहाँ झक मारने आये हैं समाज के लिये नहीं !!!, आई.ए.एस. बनना है और करोड़ों कमाना है, अरे रुतबा का रुतबा और कमाई की कमाई, किसी कंपनी का सीईओ भी क्या कमाता होता आई.ए.एस. की कमाई के आगे।

    बातों में पता लगा कि उनमें से २-३ के पिता आई.ए.एस. हैं, और बाकी २-३ सामान्य लोग हैं परंतु दाँतकाटी दोस्ती लग रही थी उन सबमें, जिनके पिता आई.ए.एस. थे वे कुछ किस्से बता रहे थे कि फ़लाने ने आई.ए.एस. की पोस्टिंग मिलने के २-३ साल के अंदर ही करोड़ रुपया अंदर कर लिया वो भी किस सफ़ाई से, कहीं कोयला खदान की बात हो रही थी कि वहाँ पर किसी परमीशन या ठेके के लिये आई.ए.एस. ने ४० करोड़ की रिश्वत ली थी और मंत्री को पता चल गया तो मंत्री ने कमीशन माँगा तो उस आई.ए.एस. ने उस मंत्री को पैसे देने की जगह पैसा खर्च करके उसको गद्दी से ही हटवा दिया।

    फ़िर किसी आई.पी.एस. की बात चली कि ये लोग भी कम नहीं होते हैं, रंगदारी करते हैं और व्यापारियों से एक मुश्त रकम या फ़िर सप्ताह लेते रहते हैं, बस व्यापारी बड़ी मुर्गी होता है।

    तभी उनमें से एक आई.ए.एस. का सुपुत्र बोला उसके दूसरे मित्र को जो कि शायद किसान परिवार से था, कि बेटा पढ़ाई कर जम कर और केवल हरे हरे नोटों के सपने देख, और देख कि तेरा रसूख कितना बढ़ जायेगा, लोग सलाम ठोकेंगे, कभी भी करोड़ रुपया अंदर कर सकता है। तो किसान परिवार के लड़के का उत्तर सुनकर तो हम दंग ही रह गये, वो बोला “हमारे पिताजी ने कहा है कि तू केवल पढ़ाई पर ध्यान दे, और ये आई.ए.एस. की परीक्षा पास कर ले, जितना पैसा खर्च होता है ३०-४० लाख रुपया होने दे, तू चिंता मत कर हम खेत खलिहान बेच देंगे घर बेच देंगे, तू आई.ए.एस. बन गया तो ये खर्चा तो कुछ भी नहीं है ये तो निवेश है, इसका दस गुना तुम हमें २-३ साल में कमा कर दे दोगे” !!!

    हम हमारे विचारों में खो गये कि ये आई.ए.एस. की परीक्षा और आई.ए.एस. बनने का जुनून तो किसी और दिशा में मुड़ गया है। और ये केवल करोलबाग की ही बात नहीं है, जहाँ आई.ए.एस. की तैयारी कर रहे लोग मिलेंगे, आपको इस तरह की बातें सुनना शायद आश्चर्यजनक न लगे। क्योंकि हमने ये चर्चाएँ कई बार दिल्ली में अलग अलग जगह पर सुनी हैं।

    इसलिये अब हमारे सामने यह एक यक्ष प्रश्न है कि इन आई.ए.एस. की इज्जत करें या न करें, और अगर आज के युवा की सोच ही ऐसी होगी परिवार की होगी तो इस राष्ट्र का भविष्य क्या होगा।

मेरी चाहतें ….. रोज उठना ना पड़ता, रोज नहाना न पड़ता…, रोज खाना ना पड़ता…, काश कि बुशर्ट भी पेंट जैसी ही होती…, जिससे प्रेस जल्दी होती.. ।

    रोज रात को सोने के बाद …. सुबह उठना क्यों पड़ता है … कितना अच्छा होता कि …. रोज उठना ना पड़ता, रोज नहाना न पड़ता…, रोज खाना ना पड़ता…, रोज पानी ना भरना पड़ता, रोज बस मीठी नींद के आगोश में रहते…, रोज सुबह की सैर पर नहीं जाना पड़ता…, रोज ऑफ़िस न जाना पड़ता…, सप्ताहांत सप्ताह में एक की जगह दो होते…

    ऐसी मेरी चाहें तो अनगिनत हैं पर कभी पूरी नहीं होती हैं, सब सपना सा है, दो दिन सप्ताहांत पर आराम करने के बाद सोमवार को ऑफ़िस जाना जान पर बन आता है, कि हाय ये सोमवार इतनी जल्दी क्यों आ गया, हमने ऐसा कौन सा पाप किया था, कि ये ऑफ़िस में हर सोमवार को आना पड़ता है।

    शुक्रवार को तो मन सुबह से प्रसन्न होता रहता है कि बेटा बस आज और काम करना है फ़िर तो दो दिन आराम, अहा !!! कितना मजा आयेगा।

    पर चाहतें भला कब किसकी पूरी हुई हैं, ये पंखा देखो न कितनी आवाज करता है…, सोचने में विघ्न डालता है…, बंद कर दो तो पसीना सर्र से बहने लगता है…, काश कि मैं अभी कहीं ठंडे प्रदेश में छुट्टियाँ काट रहा होता…, वहाँ की वादियों को देखकर मन में सुकून काट रहा होता…, रोज ये चिल्लपों सुनकर तंग आ गया हूँ…, क्यों पेंट पर जल्दी प्रेस (इस्त्री) हो जाती है …., और बुशर्ट पर समय क्यों लगता है…, काश कि बुशर्ट भी पेंट जैसी ही होती…, जिससे प्रेस जल्दी होती.. । इस्त्री की जगह कोई ऐसी मशीन होती कि उसमें कपड़े डालो तो धुल भी जाये और इस्त्री होने के बाद बिल्कुल तह बन कर अपने आप बाहर आ जाये …, और अपने आप अलमीरा में जम जायें।

    चाहतों का कोई अंत नहीं है…, अभी दरवाजे पर दस्तक हुई है … शायद अखबार आया है…, तीन तीन अखबार और मैं इत्ती सी जान…, काश कि इन अखबारों को पढ़ना न पड़ता…, कोई अखबार का काढ़ा आता … हम उसे पी जाते और उसका ज्ञान अपने आप दिमाग में चला जाता…, पर ऐसा नहीं है… इसलिये हम चले अखबार बांचने और आप जाओ टिप्पणी बक्से में टीपने, और पसंद का चटका लगाने…।

ऐसे ही कीबोर्ड तोड़ता रहूँगा… “यार अपनी किस्मत में तो सटर्डे और सन्डे कपड़े धोना ही लिखा है” … आधुनिक युग में मजदूरी… स्क्रोल व्हील

    क्या लिखूँ समझ में नहीं आ रहा है, क्यों लिखूँ ये भी समझ में नही आ रहा है, बस लिखना है इसलिये लिखते जा रहा हूँ, बहता जा रहा हूँ और ये क्रम रोज ही जारी है, परेशान भी नहीं हो रहा हूँ…. और ना ही परेशान होने की कोशिश कर पाता हूँ…
    कहीं दूर मन में छन से आवाज आती रहती है, कि क्या जिंदगी में पाने के लिये आये हो… क्या कर रहे हो … क्या तुम अपने आप से सन्तुष्ट हो… या अपने में ही अपनी चिंगारी दबाते जा रहे हो… और रोज रोज अपने में ही मरे जा रहे हो… क्या है यह … जिंदगी बहुत तेजी से दौड़ती जा रही है … जैसे रोज कीबोर्ड पर हमारी ऊँगलियाँ … ऊँगलियाँ कीबोर्ड पर दौड़ती नहीं हैं … मजबूरी में चल रही होती हैं … कोई अंदर से चीख रहा है कब तक मैं उसकी आवाज नही सुनूँगा … और ऐसे ही कीबोर्ड तोड़ता रहूँगा… हमेशा दिल घबराया हुआ सा रहता है … आँखें पथरायी हुई सी रहती हैं।
    अब वो देखने की कोशिश कर रहा हूँ जो होता तो है पर मैं उस तरफ़ ध्यान नहीं देता हूँ या सिंपली कहूँ इग्नोर कर देता हूँ..।
    मेरी दिनचर्या के कुछ दृश्य जो घटित तो रोज होते हैं, पर ध्यान मैंने आज दिया –

१. वाशरूम – दो लड़के जो मुंबई से कहीं बाहर से आये हुए लग रहे है, आज शुक्रवार है, इसलिये सब लोग जीन्स और टीशर्ट में ही दिख रहे हैं, मैं लघुशंका के लिये शौचालय खाली है ?, ढ़ूँढ़ता हूँ और कान में उन लड़कों की बातें भी सुनाई दे रही हैं… देखिये हमारा शरीर भी कितना मल्टीटास्किंग है .. हाथ से हम वाशरुम का दरवाजा खोल रहे हैं और कानों से उन दोनों लड़कों की बातें सुन रहे हैं, पहला लड़का दूसरे से “अरे यार कल फ़िर धोबी बनने का दिन आ गया है”, दूसरा बोला “यार अपनी किस्मत में तो सटर्डे और सन्डे कपड़े धोना ही लिखा है”, “कितने साल हो गये कपड़े धोते हुए ….!!!” । इतने में हम वाशरुम के अंदर चले जाते हैं, और वो आवाजें सुनाई देना बंद हो जाती हैं, पर अपने अंदर से आवाज आने लगती हैं, “सोच क्या रहा है, बेटा थोड़े समय पहले तेरी भी यही हालत होती थी, बस अब तेरे दिन फ़िर गये हैं”, और यही सोचते हुए वापिस अपने क्यूबिकल तक आ गये।

२. कैंटीन – शाम चार बजते बजते दिन बोझिल सा होने लगा है.. जैसे इस नीरस सी जिंदगी में और कुछ बचा ही नहीं है … अंदर ए.सी. की ठंडी हवा भी अजीब सी घुटन पैदा करती है … आज भूख कुछ ज्यादा लगी तो सोचा कि चलो आज कैंटीन में कुछ खा लेते हैं .. पता चला कि आज मिस्सल पाव है … पहले तो मन एकदम खिल गया कि चलो आज यही खा लेते हैं … वैसे भी अपना मनपसंद है … पर जैसा हर बार होता है … अपने साथ … वही हुआ … पाव खत्म हो गया और ब्रेड से मिस्सल खानी पड़ी … हर बार ऐसा ही होता है जिंदगी में, मैं सोच में डूब गया कि मुझे जो चाहिये होता है या जो करने का मन होता है वह या तो होता ही नही है या फ़िर कुछ हिस्सा बचा होता है … और हमेशा हम अपनी कुँडली को कोसते रहते हैं, क्योंकि इसमें हम कुछ कर नही सकते हैं।
३. क्यूबिकल – अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा हम इस क्यूबिकल में गुजार देते हैं, जहाँ बेजान सी लकड़ी की डेस्क, सामने काँच का पार्टीशन, एक फ़ोन, पानी की बोतल और हर समय कोसता हुआ खाली चाय का कप रहता है, पास ही भगवान श्रीकृष्ण का फ़ोटो जो काम के बीच में याद दिलाता रहता है कि तुम अभी भी जिंदा हो और तुम्हारी जिंदगी में धार्मिकता बची हुई है, अपनी घूमने वाली कुर्सी पर बैठकर मजदूरी करके शाम को ए.सी. की तपन से बाहर आकर गरम हवा बिल्कुल हिमालय की ताजगी देती है।
४. मजदूर – आज के इस आधुनिक युग में मजदूरी की परिभाषा वही है, बस मजदूरी बदल गयी है, काम बदल गया है, मजदूरी का पैमाना बदल गया है, हम धूप में पत्थर नहीं तोड़ते हैं न ही हमारा शरीर हट्टा कट्टा है और न ही शरीर से पसीना चू रहा होता है … और न ही सूखी रोटी खा रहे होते हैं … केवल एक ही समानता है विद्रुप आहत दिल। और मजदूर मजबूरी में, जो कि केवल पैसे के लिये अपने दिल और मन  पर बारबार चोट कर रहा है। हम हुए आधुनिक मजदूर पर दिल और मन से बिल्कुल अभिन्न हैं पारंपरागत मजदूरी से …  हम उससे जुड़े हुए हैं।
५. माऊस – अपनी कुर्सी में धँसकर केवल माऊस चलाते जाओ, कभी लेफ़्ट क्लिक करो कभी राईट, कभी स्क्रोल व्हील घुमाते रहो। इतने साल हो गये इस माऊस को पर देखो टेक्नोलाजी कि माऊसे आगे की कोई चीज आयी ही नहीं, वो बेचारा माऊस सोच रहा होगा कि ये इंसा कब तक ट्रेकबाल या रोशनी के सहारे मुझे दौड़ाता रहेगा, मुझे भी आजादी दो, मुक्ति दो मैं थक गया हूँ।

सेवानिवृत्त हो रहे हैं ? सेवानिवृत्ति का धन, कैसे और कहाँ निवेश करें …. जिससे भविष्य अनिश्चिंत न हो.. ? (Getting Retired, Where to Invest the amount for good returns after retirement)

यह लेख अनीता कुमार जी को समर्पित है, उनके कहने पर ही मैंने सेवानिवृत्ति कोष को अभी आज के बाजार में कैसे निवेश किया जाये, पढ़ा और उनके लिये ही लिखा है। आशा है सबको पसंद आयेगा।

    सेवानिवृत्ति के समय आपको एक बड़ी धनराशि मिलती है। जो कि आपके भविष्य निधि, नकदीकरण, पेंशन का रुपांतरण, ग्रेच्युटी इत्यादि की राशि मिलाकर होती है।

    उस समय सबसे बड़ा सवाल आपके सामने आता है कि “इस धनराशि को कहाँ और कैसे निवेश किया जाये ?” निवेश के लिये ऐसी कौन सी जगह सुरक्षित है, जहाँ अभी भी निवेश से अच्छी वापसी की उम्मीद हो ?

    यहाँ हम देखेंगे कि सेवानिवृत्ति के धन को निवेश करने वाले वित्तीय उत्पाद की क्या विशेषताएँ होनी चाहिये और कुछ विकल्पों के सुझाव भी देंगे।

    आप सारी जिंदगी अपने परिवार के लिये कार्य करते हो, बहुत परिश्रम करके अथक प्रयासों से अपने जीवन में प्रगति करते हैं। और अंत में एक दिन आता है जब आपको आराम की जरुरत होती है – आपकी सेवानिवृत्ति ! आप अपने जीवन का आनंद लेने के लिये एक बार वापिस से स्वतंत्र हैं। और वो सब चीजें कर सकते हैं को कि आप कार्य करते हुए नहीं कर सकते थे।

    लेकिन सेवानिवृत्ति इन सब सुख के साथ  के साथ ही एक महत्वपूर्ण प्रश्न भी लेकर आता है – धन को कहाँ निवेश करना है जो कि आपको सेवानिवृत्ति लाभों के रुप में मिला है।

    यह कोई साधारण सा सवाल नहीं है। आखिरकार आपकी जिंदगी भर की मेहनत के धन का प्रश्न है।

समस्या बहुत महत्वपूर्ण है –

    सेवानिवृत्ति के समय आपको दसियों लाख रुपया मिलता है। वह इसलिये क्योंकि आपको बहुत सारी जगह से धन मिलता है – भविष्य निधि, स्वैच्छिक भविष्य निधि, सेवानिवृत्ति, छुट्टी नकदीकरण, पेंशन का रुपांतरण इत्यादि ।

    आपको आपने उन निवेशों से भी धन प्राप्त हो सकता है, जब आपने निवेश किया होगा तो यह सोचकर किया होगा कि सेवानिवृत्ति के समय यह पैसा भी साथ में मिल जायेगा, और उसकी परिपक्वता भी पूर्ण हो रही हो। जो कि सार्वजनिक भविष्य निधि (पी.पी.एफ़.), जीवन बीमा पालिसी इत्यादि हो सकती हैं।

    इस प्रकार, अब आपके सामने ऐसी स्थिती उत्पन्न हो जाती है कि इतना सारा धन कहाँ निवेश करें, कैसे करें, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद भी आपके मासिक खर्चों के लिये राशि बराबर मिलती रहे । इतनी बड़ी राशि जो कि शायद अपने पूरे जीवन में कभी एक साथ निवेश नहीं की होगी ।

सेवानिवृत्ति के बाद  मिलने वाले रिटर्न की विशेषताएँ –

    सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले धन को निवेशित करने के लिये वित्तीय उत्पादों में क्या विशेषताएँ होनी चाहिये ?

स्थायी रिटर्न

    समस्या बहुत जटिल है, क्योंकि आप अपने सेवानिवृत्ति से मिलने वाले धन को कुछ इस तरह से निवॆश करना चाहते हैं कि सुरक्षित और स्थायी रिटर्न भी मिलता रहे और सेवानिवृत्ति के बाद मिला धन भी आपके जीवनकाल तक आपके साथ सुरक्षित रहे।

    आपको अपनी आय बाजार के मानक से अच्छी रखनी होगी, जो कि आपके वर्तमान व्ययों का ध्यान तो रखेंगे ही और भविष्य में होने वाले दिन-ब-दिन के खर्चों में होने वाली मदों में भी मदद करेगी।

    विशेष रुप से यह उन लोगों के लिये महत्वपूर्ण है जिनको पेंशन नहीं मिलने वाली है।

सुरक्षित रिटर्न

    चूँकि सेवानिवृत्ति के बाद,  आपके पास आय का स्त्रोत वेतन नहीं आने वाला है। आप पूरी तरह से अपने निवेशित धन पर ही अब अपने जीवनकाल के लिये निर्भर करते हैं।

    इसलिये, सुरक्षित रिटर्न, निवेशित धनराशि की सुरक्षा (मूलधन) बहुत ही महत्वपूर्ण है।

नियमित रिटर्न

    अब यही आपके प्राथमिक आय का स्त्रोत होगा जो कि आपके दैनिक खर्चों का ख्याल रखेगा, तो आप ऐसे वित्तीय उत्पाद में निवेश नहीं कर पायेंगे जहाँ संचयी लाभ मिलता हो।

    आपको ऐसी जगह निवेश करना होगा जहाँ से आपको नियमित रुप से मासिक या त्रैमासिक आय मिलती रहे।

कहाँ निवेश करें –

    तो अब सबसे बड़ा सवाल कि सेवानिवृत्ति के बाद मिली धनराशि को कहाँ निवेशित करें ?

    अगर आप जल्दी सेवानिवृत्ति ले रहे हैं तो सावधि जमा (FD) अच्छा विकल्प नहीं है, क्योंकि इसमें आप बाजार में होने वाले रुपये के अवमूल्यन से लड़ नहीं पायेंगे। सेवानिवृत्ति की योजना को ध्यान में रखते हुए जब आप काम कर रहे होते हैं तभी आय के स्त्रोतों को लक्ष्य बनाया जाना चाहिये जिससे सेवानिवृत्ति पर आपको सोचना न पड़े।

    लेकिन अगर आप इस तरह के आय के स्त्रोत बनाने में अक्षम रहते हैं, तो भी हमारा निवेश का बड़ा हिस्सा परंपरागत निवेशों के लिये ही होगा। सावधि जमा योजना जो कि सुरक्षित, विश्वसनीय और निश्चित आय प्रदान करता है।

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)

    सेवानिवृत्ति के बाद बचत के लिये सबसे अच्छा वित्तीय उत्पाद है वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS), जिसमें आप अपना सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाला धन निवेश कर सकते हैं, और ये विशेषकर सेवानिवृत्तों के लिये ही बनाया गया है।

इसकी कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

    पूर्ण सुरक्षा – यह एक सरकारी योजना है, इसलिये यह बिल्कुल सुरक्षित है।

    नियमित नकदी – त्रैमासिक आधार पर ब्याज का भुगतान किया जाता है।

    उचित ब्याज दर – वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) ९% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देता है।

    उच्च निवेश सीमा – वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) में १५ लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं।

सेवानिवृत्ति कोष से जितना ज्यादा संभव हो सके उतना वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) लेना चाहिये।

सावधि जमा (FD)-

    सेवानिवृत्ति कोष निवेश करने की सबसे मनपसंदीदा वित्तीय उत्पाद सावधि जमा है। अच्छे बैंकों में निवेश करें और सावधि जमा से स्थिर रिटर्न मिलता है।

    इसके अलावा, सावधि जमा को कभी भी तोड़ा जा सकता है, और आकस्मिक व्यय के लिये उपयोग कर सकते हैं, इसलिये सेवानिवृत्ति के धन का कुछ हिस्सा निश्चित ही सावधि जमा में रखना चाहिये।

    आकस्मिक या आपातकालीन राशि लगभग आपके छ: माह के खर्चे के बराबर होनी चाहिये जो कि आमतौर पर पर्याप्त होती है। यह राशि आपके आपातकालीन चिकित्सा खर्चों में व्यय करने के लिये भी सक्षम होगी। इसलिये आपको बैंक में सावधि जमा के तौर पर कम से कम छ: महीने के खर्चों के बराबर की राशि रखना चाहिये।

    यदि आप पूर्ण सुरक्षा चाहते हैं, तो आप पोस्ट ऑफ़िस में भी सावधि जमा करवा सकते हैं, यह बिल्कुल बैंक की सावधि जमा के समान है, बस ये पोस्ट ऑफ़िस में होगी, पोस्ट ऑफ़िस में होने कारण सरकार द्वारा सुरक्षित होगा आपका धन।

डाकघर मासिक आय योजना (PO MIS) –

    सेवानिवृत्ति कोष को निवेशित करने के लिये यह भी वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) जैसी ही एक अच्छी योजना है।

    पूर्ण सुरक्षा – यह एक सरकारी योजना है, इसलिये यह बिल्कुल सुरक्षित है।

    नियमित नकदी – मासिक आधार पर ब्याज का भुगतान किया जाता है।

    उचित ब्याज दर –यह ८% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देता है और परिपक्वता पर ५% बोनस प्रदान करता है, इसका प्रभावी यील्ड ८.९% होता है।

    निवेश सीमा – इसमें ४.५ लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। संयुक्त खातों के लिये सीमा ९ लाख रुपये है।

अन्य सुरक्षित निवेश के वित्तीय उत्पाद –

    बाजार में कुछ ओर भी वित्तीय उत्पाद हैं जो कि सरकार समर्थित हैं, और पूर्णतया: सुरक्षित होते हैं। इन वित्तीय उत्पादों के साथ समस्या यह है कि इनसे कोई नियमित आय नहीं होती है, ब्याज संचित होता जाता है और परिपक्वता पर मूलधन के साथ ब्याज मिलता है।

    इसलिये शायद यह आपके लिये सेवानिवृत्ति के धन को निवेश करने की अच्छी जगह नहीं होगी।

  • राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र
  • किसान विकास पत्र
  • भविष्य निर्माण बॉन्ड्स

शेयर बाजार (Stocks)

    सेवानिवृत्त लोगों के लिये निवेश करने के लिये यह एक अपरंपरागत जगह है। लेकिन इस जगह सेवानिवृत्ति के कुछ प्रतिशत धन को निवेशित करने से अनदेखा नहीं करना चाहिये।

    नये नये मेडिकल साधनों के चलते औसत जीवनकाल बड़ने लगा है। आपको सेवानिवृत्ति धन अपने जीवनकाल तक सुरक्षित रखना है।

    अभी तक हमने जितने भी वित्तीय उत्पाद देखे हैं वो मुद्रास्फ़ीति को हरा नहीं सकते, और आपके कोष को बढ़ाने में सक्षम भी नहीं हैं। जिससे आपके बढ़ते हुए खर्चों को पूर्ण किया जा सके। केवल शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ निवेश करने पर आप मुद्रास्फ़ीति से लड़ भी सकते हैं और आपका निवेशित धन बड़ता भी जाता है।

    परंपरागत तौर पर सेवानिवृत्ति कोष को शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा माना जाता है। पर अगर आप अपना कोष बड़ता हुआ देखना चाहते हैं तो व्यावहारिक रुप से यह केवल शेयर बाजार में ही संभव है।

    कम से कम अपने कोष का १०% और यदि संभव हो तो २०% तक शेयर बाजार में निवेश करना चाहिये।

निवेश करते समय निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिये –

  • शेयरों में सीधा निवेश करने से बचें, म्यूचुअल फ़ंड के जरिये निवेश करें।
  • विविध म्यूचुअल फ़ंडों में निवेश करें, खासकर उन म्यूचुअल फ़ंडों को चुनें जिनकी पूँजी ज्यादा हो (Large Capital). उन्हीं म्यूचुअल फ़ंडों में निवेश करें जो कि आपके धन को अच्छी साख वाली कंपनियों में निवेश करते हैं।
  • एक ही बार में अपने धन को निवेश मत करिये, नियमित समय अंतराल में चरणबद्ध तरीके से निवेश कीजिये, जिससे गलत समय पर बाजार में पैसा लगाने के जोखिम से बच सकें।
  • म्यूचुअल फ़ंड में आप सिस्टमैटिक निवेश योजना (SIP) से औसत लागत प्राप्त कर सकते हैं।
  • जब आप अपने निवेश को निकालना चाहते हो तब भी एक बार में पूरे निवेश को नहीं निकालें। इसे भी नियमित समय अंतराल में चरणबद्ध तरीके से निकालें, जिससे आप बाजार के जोखिम से बच सकते हैं। आप अपने म्यूचुअल फ़ंड की योजना के व्यवस्थित निकासी योजना (Systematic Withdrawl Plan SWP) से निकाल सकते हैं।

आपको अपने सेवानिवृत्ति कोष को निवेशित करने के लिये शुभकामनाएँ।

तनख्वाह बड़ी है ? अच्छे तरीके से कैसे उपयोग करें … ? कहाँ निवेश करें ?

    पिछला वर्ष २००८ नौकरीपेशा वर्ग के लिये बहुत मंदी वाला था, जहाँ एक तरफ़ तो अपने खर्चे कम करने पड़े और अपनी बचत में से भी पैसा निकालना पड़ा, और साथ ही कंपनियों द्वारा बाहर निकाले जाने का डर भी।

    कंपनियाँ बड़ी हुई तनख्वाह और बोनस बड़ाने में सक्षम नही थीं और सबने बहुत ही बुरा समय देखा है। खैर, अब ये मंदी का दौर खत्म हो गया है, और समय बदल रहा है और कंपनियाँ भी मंदी के दौर से निकल चुकी हैं।

अंदाजन बढ़ने वाली तनख्वाह के सर्वेक्षण नतीजे –
    सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इस वर्ष सबसे ज्यादा वेतन बढ़ौत्तरी होने वाली है। भारत में वर्ष २०१० में वेतन वृद्धि लगभग १०.६ प्रतिशत होने का अनुमान है, जो कि एशिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा है और वर्ष २००९ की ६.६ प्रतिशत की वृद्धि से ६० प्रतिशत ज्यादा है। भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वेतन वृद्धि लग्भग ११.४ प्रतिशत होगी।

    ऊर्जा, दूरसंचार, दवाई उद्योग, यांत्रिकी, सेवा और निर्माण, तकनीक और ऑटोमोबाइल कुछ ऐसे क्षैत्र है, जहाँ पर वेतन वृद्धि ११.६ प्रतिशत से १२.८ प्रतिशत तक होने का अनुमान है।

    तकनीक और् आऊटसोर्सिंग क्षैत्र में २००९ के बाद जबरदस्त तरीके से व्यापार में उछाल देखा गया है, लेकिन ये बेहद डरी हुई हैं और इकाई के अंक में ही वेतन वृद्धि देने का अनुमान है जो कि ८.५ प्रतिशत से ८.९ प्रतिशत हो सकता है।

ज्यादा आमदनी: क्या करें ?
    मंदी ने भारतियों को धन की महत्ता सिखाई। तो धन का कैसे अच्छे तरीके से प्रबंधन करें / वेतनवृद्धि को कैसे बेहतर तरीके से उपयोग करें जिससे भविष्य में हमें ज्यादा मुनाफ़ा हो ? यह समय धन को उड़ाने का है या फ़िर उसे बचाने का ? या फ़िर जो मितव्ययिता के उपाय हमने इस मंदी के दौरान सीखे उन्हीं को जारी रखने में समझदारी है ?

    क्या यह बिल्कुल उपयुक्त समय है घर का सामान खरीदने के लिये ? आज लेपटॉप या टीवी जिसकी कीमत ४०,००० है वह शायद छ: महीने बाद ३५,००० हो जायेगी, और कुछ अच्छे ऑफ़र्स भी मिल सकते हैं। मोबाईल फोन या आईपोड के दाम एक तिमाही में ३० प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। तो वास्तव में उपभोक्ता वस्तुओं पर बड़ी राशि खर्च करने का उपयुक्त समय नहीं है, लेकिन अगर बिल्कुल ही जरुरत हो तो आपको लेना ही चहिये, बस अच्छी तरह से मोलभाव कर लीजिये जिससे आपको अच्छे ऑफ़र मिल पायें ।

मौजूदा ऋणों की ई.एम.आई. बड़ा दें –
    अगर आपके ऊपर किसी भी तरह का लोन (गृह, शिक्षा, ऑटो, क्रेडिट कार्ड) है तो वेतनवृद्धि के धन से आंशिक पूर्व भुगतान या आप अपने लोन की ई.एम.आई. को बड़ाकर निर्धारित अवधि के पहले चुका सकते हैं, जिससे आपको राहत मिलेगी। (“अधिकतर व्यक्तिगत ऋणों में आंशिक पूर्व भुगतान की सुविधा नही होती है।" )

    हर बार जब भी आप अपनी किस्त का भुगतान करते हैं तो उसका एक हिस्सा लोन के ब्याज में चला जाता है और बाकी का बचा हुआ ऋण की रकम में। ऋण लेने के बाद आमतौर पर पहली किस्त जो भरी जाती है वह आप ब्याज भर रहे होते हैं जो कि आपको पता भी नहीं होता है, और ऋण की किस्त के आखिरी हिस्से को जब भर रहे होते हैं वह ऋण की रकम का हिस्सा होती है। उदाहरण के लिये – अगर आपने ६०,००० रुपये का ऋण लिया है और उसकी मासिक किस्त ई.एम.आई. १५०० रुपये जा रही है तो आप उसे बड़ाकर २००० रुपये करवा लीजिये जिससे बड़े हुए ५०० रुपये आपकी ऋण की रकम कम करने में सहायक होंगे और आपको ब्याज कम भरना पड़ेगा।

    तो जल्दी से ऋण चुकाने में अपनी रकम बड़ाईये और ब्याज में अपना पैसा जाने से बचायें।

निवेश और बचत बढ़ायें –

    अगर आपने ॠण नहीं ले रखा है तो आप अपने धन को म्यूचयल फ़ंड, यूलिप, बांड, शेयर इत्यादि में निवेश कर सकते हैं। म्यूचयल फ़ंड नये निवेशकों के लिये सबसे अच्छा वित्तीय उत्पाद है, जबकि आज के बाजार में निवेश के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं।

    मैं आपको एस.आई.पी. लेने की सलाह दूँगा, जहाँ आप पूर्व निर्धारित मासिक राशि अपने पसंद के म्यूचयल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं। एस.आई.पी. आवर्ती जमा जैसा ही वित्तीय उत्पाद है बस एस.आई.पी. (SIP) बाजार के रिटर्न देने की क्षमता रखता है और आवर्ती जमा (Recurring Deposit) एक निश्चित ब्याज राशि।

    एस.आई.पी. की प्रत्येक मासिक राशि को एक ईंट के तौर पर देखें तो भविष्य में इससे आपको बिल्डिंग बनती नजर आयेगी। नियमित बचत के लिये यह बिल्कुल सही समाधान है।

    ५००० रुपये का एस.आई.पी. अगर १५ वर्षों तक जमा करते हैं, तो १५% के हिसाब से लगभग ३३ लाख रुपये हो जाता है। १५% बहुत कम लगाया है जबकि कई फ़ंडों में यह ६०% तक गया है।

    बहुत सारे फ़ंड हाऊस के फ़ंड अच्छॆ हैं तो आज ही चुनें और निवेश शुरु करें।

    इस वर्ष अच्छे वेतन वृद्धि की उम्मीद है और आप अपने बड़े हुए वेतन को अपने भविष्य के लिये निवेशित करें, क्योंकि पिछले दो वर्षों में आप लोग सीख ही गये होंगे कि खर्चों में कटौती कैसे करना है।

    कुछ तरीके वेतन वृद्धि के लिये मैंने बताये हैं, बाजार में और भी वित्तीय उत्पाद उपलब्ध हैं, जिनमें आप निवेश कर सकते हैं, और अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई को अपने परिवार के भविष्य के लिये सुरक्षित रख सकते हैं। आप पैसा कमाने के लिये कार्य करते हैं और ये वित्तीय उत्पाद आपके पैसे को भविष्य में अच्छे रिटर्न देने के लिये कार्य करते हैं।

51,000 से ज्यादा पेज विजिट हो चुके हैं.. ब्लॉग जगत और पाठकों का शुक्रिया

आज जब अपने ब्लॉग को देख रहे थे तो स्टेटकाऊँटर पर नजर पड़ी तो देखा कि 51,000 से ज्यादा का मीटर नजर आ रहा है तो सोचा कि आज ब्लॉग जगत और पाठकों का शुक्रिया अदा करता चलूँ।

उम्मीद है कि भविष्य में भी आप लोगों का आशीर्वाद और प्यार बना रहेगा।

वो पितृत्व का मेरा अहसास, अनमोल पल मेरी जिंदगी का…

    हरेक पिता के जीवन में पहला पल ऐसा आता है जो कि पिता को पितृत्व का अहसास दिलाता है और वो होता है बच्चे का परिवार में आगमन। क्या आपको याद नहीं आता ?

    मेरे जीवन का वो पल पितृत्व का मैं कभी भूल नहीं सकता, सुबह दस बजे का समय था, मेरी श्रीमती जी आपरेशन थियेटर में थीं, प्राकृतिक प्रसव नहीं था हमें दोनों याने कि जच्चा और बच्चा की चिंता थी।

    थोड़ी देर बाद ही डॉक्टर साहब दौड़े हुए खुद खबर देने आये और गले लगकर बधाई दी “जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है”, वो पल मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पल बन गया। उस पल मैं पिता बन चुका था और अचानक ही अपने आप बड़े होने का अहसास होने लगा था, कि अब मैं बाप बन चुका हूँ। अचानक ही जिम्मेदारी का अहसास होने लगा था, कि अभी तक मैं केवल पत्नी की ही जिम्मेदारी थी अब ब्च्चे की भी है। मैंने डॉक्टर से एक बार भी यह नहीं पूछा कि लड़का है या लड़की, लिंग का कोई माइना नहीं होता पिता के लिये, पिता के लिये तो बच्चा एक अनमोल रतन होता है।

    उस पल मेरे आँखों में अचानक ही आँसू आ गये और लगा कि पूरी दुनिया में पटाखे फ़ूट रहे हैं, मेरी खुशी के लिये। मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था, और अपनी खुशी को व्यक्त भी नहीं कर पा रहा था।

    थोड़ी देर बाद जब मेरे पापा मम्मी आये तो मैंने उन्हें बताया कि “पापा मैं पापा बन गया”, और अश्रुधारा थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। जिंदगी में इतनी खुशी और पितृत्व का अहसास पहली बार था।

    जिंदगी के उस अनमोल पल को मैं कभी नहीं भुला सकता, आखिर मेरे “पितृत्व” का पल था वह ।