कई बार मुझे लगता है कि मैं कुछ ज्यादा ही दार्शनिक हो जाता हूँ। दार्शनिक मतलब कि दर्शन की बात करने वाला, और कई बार ऐसा होता है कि मुझे खुद ही दर्शन समझ नहीं आता या फिर मैं दार्शनिकों से भागने की कोशिश करता हूँ, शायद यह मूड पर निर्भर करता है। मैं दार्शनिक प्रोफेशनल से नहीं हूँ तो यह मेरा शौकिया शगल भी हो सकता है। Continue reading नीरस जीवन, दार्शनिकता और लालसा का अंत
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जीवन के वे दौर जो हमें पसंद नहीं
कई बार हमारे जीवन में ऐसा भी दौर आता है जब हम उसे पसंद नहीं करते, परंतु यह हमारी मर्जी पर निर्भर नहीं करता कि हम उसे दौर से न गुजरें। यह एक प्रक्रिया है, जिससे निकलना जरूरी होता है, भले दिन में लाख बार चिंता में रहें, भले करोड़ों बार आशा की नई किरण के बारे में सोचें, जो होना होता है,उसके लिये शायद हम ही जिम्मेदार होते हैं। Continue reading जीवन के वे दौर जो हमें पसंद नहीं
सफलता और असफलता घबराना क्यों
एंटरप्रेन्योरशिप के लिये आइडिया
अपने आइडिया लिखने आने चाहिये, अच्छी तरह से उन्हें प्रस्तुत भी करना आना चाहिये, पर एंटरप्रेन्योरशिप में आइडिया अगर केवल 1 पेज का भी हो, तो भी बहुत कुछ हो जाता है। इसी को फॉलो करते हुए कल बेटेलाल ने एक आइडिया जनरेशन किया, शुरुआत है, आगे बात तो बननी ही है, किसी न किसी आइडिया को हिट तो होना ही है, बस उसके पहले बहुत सारे आइडिया सोचने होंगे, लिखने होंगे, तभी तो अनुभव आयेगा।
कोरोना से बचकर रहना होगा
811 Kotak में अपने नाम से 5 मिनिट में नया एकाउंट खुलवाया
SIP से पैसा निकाला जाना चाहिये?
Vivek Rastogi
Kajal Kumarइसलिये हमेशा ही परपेचुअल करवानी चाहिये, फिर जब मर्जी हो बंद कर दो

Vivek Rastogi
Rounak Jainवाह, ऐसे कमेंट बहुत खुशी देते हैं
eSports इस्पोर्टस क्या होते हैं? हिन्दी में जानकारी
eSports इस्पोर्टस नई पीढ़ी के लिये जाना पहचाना नाम है, वहीं उनके अभिभावकों के लिये यह एक अंजान पहेली है, उन्हें इस बारे में शायद ही कुछ पता हो, और न ही इस बारे में कहीं ज्यादा लिखा गया है। इस्पोर्टस eSports वीडियो गेम्स मशीन के जरिये डिजिटल गेम्स में प्रतिस्पर्धा होती है, व इसमें कई टूर्नामेंट चलते रहते हैं, व ईनामी राशि भी बहुत बड़ी होती है।
eSports साधारणतया: Multiplayer Video Game होते हैं, जिसमें आप एक टीम का हिस्सा होते हैं और खेल में भाग लेते हैं, वहीं Individual भी हिस्सा लेकर खेल सकते हैं। इसमें गेमिंग प्रोफेशनल्स बहुत बड़े पैमाने पर हिस्सा लेते हैं, 2010 में यह और ज्यादा लोकप्रिय हुआ, क्योंकि उस समय इसमें Live Streaming और जुड़ गई, तो जो लोग नहीं खेल पाते थे, वे भी अब eSports के मजे लेने लगे।
विविध शैलियों के eSports आये जिसमें Multiple online battle arena (MOBA), First Person Shooter (FPS), Fighiting, Card Games, Battle Royales व Real Time Strategy (RTS) प्रमुख हैं। कुछ बेहद लोकप्रिय eSports फ्रेचाईजी हैं League of Legends, Dota, Counter-Strike, Overwatch, Super Smash Bros व StarCraft। बहुत से टूर्नामेंट होते हैं जैसे कि League of Legends World Championship, Dota 2’s International फाईटिंग वाले गेम्स के लिये Evolution Championship Series (EVO) व Intel Extreme Masters।
इन सबमें महत्वपूर्ण होते हैं स्पॉनसर्स जो कि eSports को बढ़ावा देते हैं जैसे कि Overwatch League। लेकिन फिर भी eSports को हमारे traditional गेमिंग से दूर ही रखा गया है, इसे ट्रू स्पोर्टस मानने से अभी भी विश्व की स्पोर्टस की कई संस्थायें इंकार करती हैं। परंतु जहाँ तक मुझे लगता है कि eSports जल्दी ही भविष्य में Olympic में जगह बना सकता है।
ऑनलाईन स्ट्रीमिंग वीडियो यूट्यूब YouTube व ट्विच Twitch पर उपलब्ध होती हैं। स्ट्रीमिंग के कारण eSports और ज्यादा popular हो रहे हैं। परंतु फिर भी इसमें खेलने वाले लड़के ज्यादा है और लड़कियाँ कम हैं, लगभग 85% व 15% का रेशो है। चीन व साउथ कोरिया eSports में यह मान लीजिये कि विश्व में प्रतिनिधित्व करते हैं वहीं जापान बहुत ही जल्दी अग्रणी पंक्ति में होगा। eSports यूरोप, अमेरिका में भी बहुत popular है वहाँ पर भी कई रीजनल व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन होते रहते हैं।
सोशल इन्फ्लूएँसर कैसे बनें How to become Social Influencer
सोशल इन्फ्लूएँसर Social Influencer के बारे में अभी एक पोस्ट लिखी थी, कि इससे भी अच्छा खासा पैसा बनाया जा सकता है, तो सभी की जिज्ञासा थी कि कैसे?
सोशल इन्फ्लूएँसर होता क्या है पहले यह समझ लें – जब एक या अधिक सोशन प्लेटफॉर्म पर आपके बहुत से फॉलोअर हों, फेसबुक पर कोई ज्यादा फायदा नहीं है, पर हाँ अगर ट्विटर, इंस्टाग्राम पर ज्यादा फॉलोअर हैं तो आपको फायदा होता है। सोशल इन्फ्लूएँसर अपनी बातों को समाज में पहुँचाते हैं, वे किसी एक मुद्दे की हो या विभिन्न मुद्दों पर, इससे लोग उनकी बातों को सपोर्ट करते हैं, समझते हैं व अपनी आवाज समझते हैं। समाज को लगता है कि वे इस व्यक्ति से कुछ सीख सकते हैं, यह अच्छा लिखता है या जरूरत के मुद्दों पर अपनी बात को सही प्रकार से कह सकता है।
बस इसी का फायदा ये सोशल इन्फ्लूएँसर उठाते हैं, जब इनके पास बहुत अधिक संख्या में फॉलोअर होते हैं, तो कई कंपनियाँ उनके पास अपने उत्पाद या अपने ब्रांड के प्रमोशन के लिये कंटेट मार्केटिंग कंपनियों के जरिये पहुँचती हैं, क्योंकि इनकी पहुँच सीधे कई फॉलोअर्स तक होती है यह अत्याधुनिक मार्केटिंग का तरीका मात्र है।
जितने ज्यादा आपके फॉलोअर्स होंगे, जितने ज्यादा उस कंटेट के व्यूज व लोगों का इन्वॉल्वमेंट होगा, उतनी ही ज्यादा आपकी क्रेडिटिबिलिटी होगी। यह सब रातोंरात हासिल नहीं किया जाता है, इसके लिये सिस्टमेटिक तरीके से आपको अपनी बातों को कई दिनों महीनों तक लगातार विभिन्न तरीकों से रखना होता है।
कमाई के अवसर बहुत ही अप्रितम हैं, निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के कंटेट पर लिखते हैं, तो उसी प्रकार के कंटेट की मार्केटिंग के लिये आपके पास आयेंगे, हर ट्वीट या इंस्टाग्राम पोस्ट स्टोरी का अपना एक रेट होता है। जो कि आपकी सोशल इन्फ्लूएँसर की छवि पर निर्भर करता है। एक ट्वीट पर लोग 7० रूपये से लेकर 1 लाख तक चार्ज करते हैं, कई बार रकम इससे भी ज्यादा होती है, वैसे ही इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ब्लॉग का मामला है। मैंने कई सोशल इन्फ्लूएँसर्स को देखा है कि वे कई मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं तो उनके पास कई प्रकार के एन्डोर्समेंट आते हैं और लगभग हर दूसरे दिन या हर दिन ही उनके पास कमाई के अवसर होते हैं।
अगर आपको लगता है कि आप भी सोशल इन्फ्लूएँसर बन सकते हैं तो कमाई को ध्यान में मत रखिये, पहले अपने आपको पहचानिये कि आप अच्छा क्या कर सकते हैं, और उस पर लिखकर अपने आपको सोशल इन्फ्लूएँसर के रूप में अपने आपको इस सोशन बाजार में स्थापित कीजिये।
आम पुराण, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?
धरती पर आम कैसे आया, क्यों आम फलों का राजा है, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?, इसके लिये यह आम पुराण हमारे मित्र देवेन्द्र कौशिक जी की अतिथि पोस्ट है।
ॐ हरि तत्सत
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लॉकडाउन में बेटेलाल
लॉकडाउन में बेटेलाल ने जमकर खाना बनाने का लुत्फ उठाया है, केवल वीडियो देखकर, थोड़ी अपनी अक्ल लगाकर जो पारंगत हुए हैं, काबिले तारीफ है।
खाना बनाना बहुत आसान नहीं है, इसमें सबसे मुश्किल है खाना बनाने के लिये अपने आप को तैयार करना। खाना बनाना दरअसल केवल महिलाओं का ही काम समझा जाता है, पर बेटेलाल कहते हैं कि जो स्वाद मेरे हाथ का होगा, वह किसी और के हाथ में नहीं, ध्यान रखना। वाकई स्वाद तो है।
आटा गूँथना भी रख स्किल है, रोटी, पराँठे, पूरी, बाटी, बाफले, मैदा सबको अलग अलग तरह से गूँथा जाता है। पर बेटेलाल अब इन सबमें परफेक्ट हो चुके हैं। उन्हें नान बहुत पसंद है, जिस दिन खाने की इच्छा होती है सबसे पूछ लेते हैं, फिर नान और पनीर की सब्जी बनाते हैं।
यही हाल इनका गेमिंग में है, पब्जी में पता नहीं कौन सी रैंकिंग हो गई है,चेस खेलने का शौक है तो पता नहीं कहाँ कहाँ के चेस के मैच देखते रहते हैं, फिर यूट्यूब के वीडियो, मूवीज और वेबसिरिज में लगे रहते हैं। पढाई जिस दिन मूड होता है किसी एक विषय का पूरा चेप्टर निपटा देते हैं। वीडियो में भी कुछ अलग ही देखते हैं, जैसे शार्क टैंक और भी कई एंटरप्रेन्योरशिप के कुछ अलग अलग।
रोको टोको मत बस, जो करना चाहते हैं करने दो, हम कहे, करो भई करो, इन सबका भी कुछ विधान ही होगा।